कोलकत्ता. देश का कोई भी भाग हो, दुर्गम क्षेत्र ही क्यों न हो, विपदा के समय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक समाज के साथ खड़े रहते हैं. वर्तमान संकट में भी यही देखा जा सकता है. पश्चिम बंगाल में भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व अनुषांगिक संगठनों के कार्यकर्ता जरूरतमंदों की सेवा में लगे हुए हैं. लॉकडाउन की अवधि में सेवा भारती व राष्ट्रीय मेडिकोज आर्गनाइजेशन ने एक साथ मिलकर कार्य शरू कर दिया है. नेशनल मेडिकोज़ आर्गनाइजेशन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. प्रभात कुमार सिंह की अध्यक्षता में पूरे प्रदेश में 100 डॉक्टरों की एक टीम लगातार निगरानी कर रही है. इतना ही नहीं लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए प्रदेश के प्रत्येक जिले में 4 से 5 चिकित्सकों की एक टीम का गठन किया है. इसी प्रकार कोरोना वायरस से संबंधित परामर्श के लिए 24 घंटे एक हेल्पलाइन शुरू की है. चिकित्सकों की टीमें सेवा बस्तियों में जाकर स्वास्थ्य संबंधी जानकारी दे रही हैं.
सह सेवा प्रमुख धनंजय घोष ने बताया कि प्रत्येक जिला में स्वयंसेवकों द्वारा सेवा कार्य किया जा रहा है. लॉकडाउन के कारण प्रभावित जरूरतमंदों तक भोजन व अन्य सामग्री पहुंचाने के लिए, लोगों को जागरूक करने के लिए 2300 स्वयंसेवक कार्य कर रहे हैं. लॉकडाउन की घोषणा के बाद से अभी तक 40000 परिवारों तक राहत सामग्री पहुंचाई जा चुकी है. पश्चिम बंग के अलग-अलग लगभग 502 स्थानों पर सेवा कार्य चल रहे हैं. सेवा भारती व चिकित्सकों की संयुक्त टीम द्वारा दवाइयां, मास्क, सेनेटाइजर वितरण का कार्य सेवा बस्तियों में किया जा रहा है. इसके तहत 12000 परिवारों को राहत सामग्री पहुंचाई जा चुकी है. इतना ही नहीं सेवा भारती एवं चिकित्सकों की टीम ने अस्पतालों में सामान्य स्थिति बनाए रखने के लिए राज्य के 7 विभिन्न स्थानों पर रक्तदान शिविर का आयोजन किया, जहां 100 स्वयंसेवकों ने रक्तदान किया.
भारत सहित जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस से जूझ रही है, ऐसे में प्रत्येक जागरूक व्यक्ति सोशल डिस्टेंसिंग की बात कर रहा है. क्योंकि यही एक मात्र बचने का उपाय है. पश्चिम बंगाल में एक बड़ा वर्ग ऐसा है जो प्रतिदिन कमाता-खाता है. यह ऐसा वर्ग है जो प्रतिदिन दिहाड़ी करके अपना जीविकोपार्जन करता है. इसलिए लॉकडाउन के बाद से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े विभिन्न सेवा संगठनों ने सेवा कार्य शुरू किया है.