नई दिल्ली. सेवा भारती ने संकट के समय हमेशा देश में सेवा कार्यों की गति को बढ़ाया है. सेवा भारती का नाम किसी जाति और धर्म के भेदभाव के बिना सामाजिक स्तर पर लोगों की सेवा करने के लिए जाना जाता है.
कोरोना संकट के बाद राजधानी में लॉकडाउन के दौरान सेवा भारती से जुड़े हजारों स्वयंसेवकों ने गरीब बस्तियों में पहुंच कर उन्हें सहायता पहुंचाने का काम किया. दिल्ली के कोने-कोने से लेकर दूर दराज के गांव और यमुना के खादर में बसे लोगों से लेकर दिल्ली के बॉर्डर पर बसे गांवों में रहने वाले गरीब लोगों के बीच सेवा भारती ने सहायता पहुंचाई.
समाज के सक्षम वर्ग द्वारा संकट के वक्त सेवा भारती को विविध तरह की सामग्री प्रदान की जाती है, जिसे समाज में जरूरतमंदों के बीच बांटा जाता है. इसी कड़ी में देश के जानेमाने अधिवक्ता और पाकिस्तान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में भारत की तरफ से पैरवी करने वाले हरीश साल्वे की धर्मपत्नी ने भी सेवा भारती तक मदद पहुंचाई. मिनाक्षी साल्वे ने अपने घर पर ही 1400 मास्क बनाए और वितरण के लिए सेवा भारती को भेंट कर दिया.
24 मार्च से 15 अप्रैल तक 28 लाख लोगों को भोजन के पैकेट भेंट किए गए. 1 लाख 22 हजार परिवारों को राशन की किट प्रदान की गई. इसके अतिरिक्त कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए 1 लाख 20 हजार साबुन, 96 हजार मॉस्क, 40 हजार ग्लब्स और 11 हजार 500 सेनेटाइजर की बोतलों का लोगों के बीच वितरण किया गया.
संकट के समय समाज की सहायता के लिए खड़े होते हैं स्वयंसेवक
देश में किसी भी संकट के समय सेवा भारती के कार्यकर्ता पहली पंक्ति में खड़े होकर मानवता की सेवा में जुट जाते हैं. 2019 में ओडिशा में आई सुनामी के वक्त सेवा भारती ने वहां 13 सेवा केंद्र स्थापित किए और आपदा से पीड़ित परिवारों को भोजन, कपड़ा, घरेलु सामान, बच्चों को स्कूली पुस्तकें वितरित करने का काम किया.
इसी तरह 2018 में केरल में आई प्रलयंकारी बाढ़ के बीच फंसे लोगों तक सेवा भारती के लोग मदद लेकर पहुंचे. केरल में 35 स्थानों पर सेवा भारती ने अपने राहत शिविर स्थापित कर लोगों तक एंबुलेंस, खाना, घर का सामान, कपड़े, और साड़ियों का वितरण किया.
जम्मू-कश्मीर में आई बाढ़ हो या नेपाल में आया भूकंप, केदारनाथ में जलप्रलय का प्रकोप हो या तमिलनाडु में सुनामी सेवा भारती ने तत्परता के साथ लोगों को सहायता और सेवा पहुंचाने का काम किया है. विशेष बात यह हैं कि सेवा भारती के स्वयंसेवक बिना किसी भेदभाव के पीड़ितों की मदद करते है और उनके पुनर्वास की भी व्यवस्था करते हैं.