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सेवा संगम में सेवा संस्थाओं ने एक मंच पर विचार –  विमर्श किया

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शिमला (विसंकें). हिमाचल प्रदेश में सेवा से जुड़ी विभिन्न संस्थाएं काम कर रही हैं, लेकिन सभी की दिशा और लक्ष्य अलग-अलग रहते हैं. इनमें आपसी तालमेल बढ़ाने, एक दूसरे के विषयों के बारे में जानने और अपने ज्ञान विस्तार द्वारा आने वाली चुनौतियों को दूर करने के लिए सेवा भारती ने सेवा संगम का आयोजन किया. सेवा संगम के आयोजन का उद्देश्य संस्थाओं को विचार – विमर्श के लिए एक मंच प्रदान करना था. हिमाचल प्रदेश के ज्वालामुखी में आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन के लिये प्रदेश की 107 सेवा संस्थाओं से संपर्क किया गया, जिसमें से 103 पंजीकृत (सेवा संगम के लिये) संस्थाओं के 200 प्रतिनिधियों ने सम्मेलन में भाग लिया. इसमें 9 जिलों के प्रतिनिधि सम्मिलित रहे, 26 महिला प्रतिनिधियों ने विशेष रूप से भागीदारी निभायी.

सम्मेलन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह सेवा प्रमुख राजकुमार जी ने कहा कि सेवा ईश्वर की सबसे बड़ी पूजा है (नर सेवा, नारायण सेवा), सेवा करने से मानवता की सच्ची सेवा होती है और परमात्मा सेवा करने वाले को अपना सच्चा भक्त स्वीकार करते हैं. सेवा कार्यों के कारण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रतिष्ठा विश्व स्तर पर पहुंची है. उन्होंने कहा कि सेवा के विविध आयामों में कार्यरत सेवाव्रती लोगों को आपस में मिलजुल कर सेवा कार्य में आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए काम करने की आवश्यकता है. अगर सेवाव्रती संगठन के रूप में कार्य करें तो इससे उनके ज्ञान में विस्तार के साथ लोगों को इसका भरपूर लाभ मिलेगा. सम्मेलन में सभी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने मिलकर तय किया कि हम सभी वर्ष में एक बार स्वास्थ्य, शिक्षा और पर्यावरण पर मिलकर सामूहिक चिंतन कार्यक्रम आयोजित करेंगे. कार्यक्रम में राष्ट्रीय सेवा भारती के अधिकारियों का मार्गदर्शन भी संस्थाओं ने लिया. कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में अखिल भारतीय सह सेवा प्रमुख तथा राष्ट्रीय सेवा भारती  के न्यासी राकेश जैन, महन्त सूर्यनाथ और डॉ. रविंद्र ने अपने विचार रखे.

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