नई दिल्ली. सावरकर के जीवन पर अध्ययन कर चुके अक्षय जोग ने कहा कि स्वातंत्र्य वीर विनायक दामोदर सावरकर का मानना था कि हमें यानि भारत को विश्व सुपर पावर नहीं बनना है, विश्व के लिए मार्गदर्शक बनना है. और यह स्वदेशी की शक्ति से ही किया जा सकता है. विकसित, आत्मनिर्भर भारत ही विश्व का मार्गदर्शन कर सकेगा. भारत ही है जो विश्व को दिशा दिखा सकता है.
स्वातंत्र्य वीर सावरकर की जयंती की पूर्व संध्या (27 मई) पर विश्व संवाद केंद्र भारत द्वारा स्वातंत्र्य योद्धा वीर सावरकर – आक्षेप एवं वास्तविकता विषय पर आयोजित फेसबुक लाइव में संबोधित कर रहे थे. वीर सावरकर का पूरा परिवार क्रांतिकारी व देशभक्त था. एक समय ऐसा भी था, जब वीर सावरकर और उनके दोनों भाई एक साथ देश की अलग-अलग जेलों में बंद थे.
अक्षय जोग ने कहा कि स्वदेशी के विचार को वीर सावरकर ने आगे बढ़ाया था. सावरकर पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने स्वदेशी के समर्थन में विदेशी कपड़ों की होली जलाई थी. 07 अक्तूबर 1905 को वीर सावरकर ने पुणे में विदेशी कपड़ों की होली जलाई थी. इस कार्यक्रम के प्रभाव का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि विदेशी कपड़ों की होली जालने की घटना का समाचार इंग्लैंड में भी प्रकाशित हुआ था. इतना ही नहीं उनके बड़े भाई बाबा राव सावरकर ने भी इसी दौरान नासिक में विदेशी कपड़ों को जलाकर स्वदेशी के विचार को पुष्ट किया था. स्वदेशी विचार व आंदोलन के कारण उन दिनों सावरकर को उनके कॉलेज होस्टल से निकाल दिया गया था और उन पर 10 रुपए का आर्थिक दंड भी लगाया था. इस पर लोकमान्य तिलक ने मराठी पत्र केसरी में ये हमारे गुरु नहीं शीर्षक से कड़े लेख लिखे थे.
वीर सावरकर के स्वदेशी को लेकर विचार बहुत प्रासंगिक, गहन और सशक्त रहे हैं. सावरकर का मानना था कि भारत को रक्षा क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर होना चाहिए ताकि हम बाहरी आक्रमणों से सुरक्षित हो पाएं. सावरकर ने विदेशी कपड़ों को जलाकर जो स्वदेशी की लौ जलाई थी, उसकी प्रसांगिकता आज भी है. प्रधानमंत्री मोदी ने भी कोरोना काल के संकट में उनके आत्मनिर्भर भारत के स्वदेशी विचार का मंत्र सबको दिया है. प्रधानमंत्री ने भी लोकल के लिए वोकल होने का आह्वान किया.
अक्षय जोग ने सावरकर पर लगे माफी मांगने के आरोपों को महज अज्ञानता और सतही जानकारी का आडम्बर करार दिया. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार श्रीकृष्ण रणनीति के तहत भागकर रणछोड़ कहलाए थे, उसी प्रकार त्वरित परिस्थितियों को भांप कर सावरकर ने स्वयं सहित अनेकों स्वतंत्रता सेनानियों को छोड़ने का सरकार से आग्रह किया था.
सावरकर जी ने हिन्दुत्व की जो परिभाषा की, उसके अनुसार – आसिन्धु सिन्धु पर्यंतः……..यानि सिन्धु सागर से सिन्धु नदी तक यह जो भारत भूमि है, इस भूमि को जो पुण्यभूमि, पितृभूमि, मातृभूमि मानता है, वह हिन्दू है.
…
अक्षय जोग, लेखक व ब्लॉगर हैं. उन्होंने वीर सावरकर – आक्षेप और वास्तविकता विषय पर मराठी में पुस्तक लिखी है, जिसका हिन्दी, अंग्रेजी, गुजराती में अनुवाद हो चुका है. अक्षय सावरकर पर विभिन्न व्याख्यानों में व्याख्यान भी दे चुके हैं.
https://www.facebook.com/VishwaSamvadKendraBharat/videos/949782868786753/