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स्वदेशी को अपनाना ही हमारा लक्ष्य होना चाहिए – कश्मीरी लाल जी

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नई दिल्ली. स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संगठक कश्मीरी लाल जी ने कहा कि स्वदेशी को अपनाना ही हमारा लक्ष्य होना चाहिए. देश को मजबूत बनाने के लिए हमें चीन द्वारा बनाए जा रहे उत्पादों की जगह स्वदेशी उत्पादों पर जोर देना चाहिए. यह हमारे कार्यक्रमों व संकल्प से ही होगा. पूरे विश्व में चीन ने व्यापार अतिक्रमण नीति अपनाई है. जिसके कारण ख़राब उत्पाद विश्व के कई देशों के साथ- साथ भारत में भी भेज रहा है, नतीजन स्थानीय व्यापार समाप्त होने के कगार पर हैं. कश्मीरी लाल जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दिल्ली प्रांत द्वारा आरए गीता विद्यालय परिसर में आयोजित संघ शिक्षा वर्ग प्रथम वर्ष (सामान्य) के समारोप कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि भीषण गर्मी में स्वयंसेवकों द्वारा की गई तपस्या समाज में साफ- साफ देखने को मिलेगी. संघ हमेशा से देश हित के लिए समर्पित रहा है. आज भी उसका कार्य निरंतर चलता आ रहा है.

समारोप कार्यक्रम की अध्यक्षता ओएनजीसी के निदेशक संजय कुमार मोइत्रा जी ने की. स्वयंसेवकों के संकल्प की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि संघ देश भक्तों की टोली है. संघ हमेशा से समाज को सही दिशा में ले जाने के लिए प्रयास कर रहा है. संघ की प्रार्थना से हमें बहुत कुछ समझने को मिलता है. प्रार्थना में ही देश भक्ति का सार है. देश कैसा हो , देश में क्या होना चाहिए, यह संघ के क्रिया कलापों से ही पता चल जाता है. हमारा देश हमारे नागरिकों से बनेगा, उनकी समझ ही देश को परम वैभव पर लेकर जाएगी.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दिल्ली प्रांत द्वारा आयोजित संघ शिक्षा वर्ग का मुख्य लक्ष्य शिक्षार्थियों का अनुशासन के साथ बौद्धिक एवं मानसिक विकास करना रहा. 20 दिवसीय प्रशिक्षण वर्ग में कुल 388 शिक्षार्थियों ने शिक्षण प्राप्त किया. जिनमें विभिन्न राज्यों से आए शिक्षार्थी भी शामिल थे. जिनमें दिल्ली सहित पश्चिम महाराष्ट्र, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ व जयपुर से 20 शिक्षार्थी थे. वर्ग में भाग लेने वाले शिक्षार्थियों में उद्योगपति 02, व्यवसायी/ कर्मचारी 59, अधिवक्ता/ डॉक्टर/इंजिनियर/ सीए 18, पीएचडी स्कॉलर व परा स्नातक 27 व शेष स्नातक व 12 कक्षा के विद्यार्थी रहे.

समारोप कार्यक्रम – ध्वजारोहण, शारीरिक कार्यक्रम में नियुद्ध, दंड संचालन, योग का प्रदर्शऩ, अध्यक्षीय संबोधन, मुख्य वक्ता संबोधन तथा ध्वजावतरण

 

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