बेंगलुरु (विसंकें). कोरोना संक्रमण के चलते घोषित लॉकडाउन ने जनजीवन को प्रभावित किया है, इसके कारण गरीब और दिहाड़ी मजदूरों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, हालांकि कोरोना से लड़ाई में लॉकडाउन (सोशल डस्टेंसिंग) ही सर्वोत्तम विकल्प है.
संकट की स्थित में फंसे जरूरतमंद लोगों की सहायता में लगे स्वयंसेवक प्रतिदिन की तरह राशन सामग्री वितरण के लिए अपने वाहन लेकर निकले तथा बेलगावी जिला के सवादत्ती गांव में पार्वती अम्मा के घर के बाहर पहुंचे. स्वयंसेवकों द्वारा काफी आवाजें लगाने बाद जर्जर हालत वाले घर में रहने वाली वृद्ध महिला बाहर निकलीं, स्वयंसेवकों ने उन्हें राशन की किट प्रदान की. वृद्ध महिला की आंखों में अश्रुधारा बह निकली, उन्हें आशा नहीं थी कि लॉकडाउन के समय में कोई सहायता व राशन देने के लिए घर आएगा.
फिर उन्हें पिछले साल की बात भी याद आई, कि पिछले वर्ष बाढ़ के समय भी उसके घर आए थे और सहायता प्रदान की थी. वृद्ध महिला ने स्वयंसेवकों को धन्यवाद दिया. स्वयंसेवकों ने त्वरित कहा कि लोगों की सहायता के लिए धन इसी समाज के लोगों ने दिया है और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इसे जरूरतमंदों तक पहुंचाने के लिए हमें जिम्मेदारी दी है. इसलिए धन्यवाद के वास्तविक अधिकारी समाज और संघ हैं, हम नहीं. हम तो केवल सेवा के निमित्त मात्र हैं.
वृद्ध महिला ने द्रवित आंखों से स्वयंसेवकों को आशीर्वाद दिया. और भावुक होकर कहा कि – यह सुनिश्चित करना कि मेरी मृत्यु के समय आप मेरे पास रहें, यह मेरा सौभाग्य होगा कि मृत्यु के पश्चात आप मेरे अंतिम संस्कार की क्रियाएं पूरी करें, मुझे विश्वास है कि इससे मोक्ष प्राप्त होगा. वृद्ध महिला के ये शब्द स्वयंसेवकों के लिए भावुक करने वाले थे. आवश्यकता के समय सहायता मिलने के पश्चात महिला के ये शब्द स्वयंसेवकों के लिए आशीर्वाद समान हैं.