जहां-जहां आवश्यकता हो, वहां संघ के स्वयंसेवक सहायकता के लिए पहुंच जाते हैं, इसका अनुभव हमने अनेक बार किया है. कोरोना महामारी के चलते सम्पूर्ण देश में भयावह स्थिति बनी हुई है. अनेकों जगह पर, विशेषत: महाराष्ट्र के मुंबई, ठाणे आदि शहरों में रेड जोन की संख्या सर्वाधिक है. अगर, इन बस्तियों को रेड जोन से बाहर निकलना हो तो संक्रमण की चैन तोड़ना आवश्यक है. उस के लिए कोविड संक्रमितों का समय पर पता लगाना आवश्यक है. संघ के स्वयंसेवकों ने यह चैन तोड़ने की चुनौती का स्वीकार किया और कोरोना योद्धा के रूप में थर्मल स्क्रीनिंग के लिए निकल पड़े. हमेशा की तरह अपनी जान की परवाह किये बिना, इस चुनौती को पूर्ण करने के लिए कमर कसी. उन का अनमोल साथ दिया निरामय सेवा संस्था, सेवान्कुर, राष्ट्र सेविका समिति, दुर्गा वाहिनी जैसे अन्य संगठनों ने.
पहले शुरूआत हुई पुणे में. जनकल्याण समिति के माध्यम से कोरोना की स्थिति का सर्वेक्षण किया गया. बस्तियों में, घर-घर में जाकर थर्मल गन, ऑक्सीमीटर द्वारा संक्रमण के संदेहजनक रुग्णों की जाँच पड़ताल कर कोरोना के मरीज ढूंढे गए. पुणे में कुल १ लाख १८ हजार रुग्णों की स्क्रीनिंग की गई. १५६७ स्वयंसेवक और ४७२ चिकित्सकों का अभियान में सहभाग रहा. पुणे के अभियान से प्रेरणा लेकर कोरोना मुक्त ठाणे का संकल्प किया गया. ३५६ कोरोना योद्धाओं ने २६,५१७ लोगों की स्क्रीनिंग की. ४४४ लोगों में कोरोना के लक्षण पाए गए. उन्हें उपचार के लिए भेजा गया.
अभियान को मिले प्रतिसाद और सकारात्मक परिणाम देखकर मुंबई प्रशासन के साथ मुंबई में भी अभियान की शुरुआत की गई. मुंबई के मिनी धारावी कहे जाने वाले नेहरूनगर बस्ती में १५ मई को अभियान शुरू हुआ. अभियान के लिए कोविड योद्धाओं का प्रशिक्षित टास्क फ़ोर्स तैयार किया गया. जिन में १० टीम और हर एक टीम के लिए एक वैद्यकीय अधिकारी और दो स्वयंसेवक ऐसी रचना की गई. हर दिन औसत तीन हजार लोगों की स्क्रीनिंग की गयी. नेहरु नगर के पश्चात धारावी, वर्सोवा, घाटकोपर विभाग आदि क्षेत्रों में स्क्रीनिंग अभियान चलाया गया. मुंबई महानगरपालिका के नेतृत्व में यह अभियान आज भी चल रहा है. धारावी में कोरोना के सर्वाधिक रुग्ण पाए गए थे. संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही थी. कोरोना का विनाश करने की शपथ लेकर ५०० स्वयंसेवक स्क्रीनिंग के लिए धारावी पहुंचे और एक ही दिन में १०६८६ लोगों की स्क्रीनिंग की गयी. संदिग्ध रोगियों की सूची महापालिका को दी गयी.
राष्ट्र के लिए एक सप्ताह के अंतर्गत अनेक युवा स्वयंसेवक अभियान में सहभागी हुए. १८ वर्ष से अधिक आयु के अनेक युवा कोरोना संक्रमण का खतरा होने के बावजूद राष्ट्र के प्रति अपना दायित्व पूरा करने में लगे हैं. केवल संघ कार्यकर्ता ही नहीं. आज राष्ट्र सेविका समिति की सेविकाएँ भी अभियान में अपना दायित्व निभा रही हैं. शुक्रवार को मालाड के रेड झोन में स्क्रीनिंग करने के लिए नारी शक्ति की एक टीम स्क्रीनिंग कर रही है. शुक्रवार, 0३ जुलाई को मुंबई में स्क्रीनिंग का एक लाख नागरिकों का आंकड़ा पूरा हो चुका है. और आज भी अलग अलग परिसरों में यह स्क्रीनिंग अभियान जारी है. मुंबई में २६७ बस्तियों में ३५६५४ घरों में १,०५,०७३ लोगों की स्क्रीनिंग की गयी है. इस स्क्रीनिंग के पश्चात १२६१ लोक सस्पेक्ट पाए गए.
मुंबई और ठाणे के साथ मुंब्रा, नवी मुंबई क्षेत्रों में भी स्क्रीनिंग की गई है. नवी मुंबई में अमृत प्रेरणा सामाजिक संस्था ने यह अभियान चलाया. तीन बस्तियों में १७७६८ लोगों की स्क्रीनिंग की गई.
यह बताना आवश्यक है कि कोरोना संक्रमण का खतरा होने के बावजूद राष्ट्र की आवश्यकता जानकर अपने अकेले पुत्र, पुत्री, पौत्र, पौत्री, को अभियान में सहभागी होने के लिए परिजनों ने अनुमति दी. अनेक जगह पर महिला वैद्यकीय छात्रों का सहभाग था. पीपीई किट पहनकर, मई महीने की कड़ी धूप में बिना थके, बिना रुके यह कार्यकर्ता राष्ट्रप्रथम का दायित्व निभाने निकल पड़े है. कोरोना को भगाना यह एक ही ध्येय इन युवाओं की आँखों में है.