देहरादून (विसंकें). विहिप के केंद्रीय संगठन मंत्री दिनेश चंद्र जी ने कहा कि अशोक सिंहल इस धरती पर महामानव थे. उनका जीवन संकल्प की दृढ़ता का आदर्श उदाहरण था. अशोक जी व्यक्ति नहीं, बल्कि अपने आप में एक संस्था थे. उन्होंने संघ कार्य को जिस संकल्पबद्धता से किया, वह हम सबके लिए पाथेय है.
विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय संगठन मंत्री दिनेश चंद्र जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तिलक मार्ग स्थित प्रांत कार्यालय पर आयोजित स्व. अशोक सिंहल जी की श्रद्धांजलि सभा में श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे थे. उन्होंने अशोक सिंहल जी से जुड़े कई संस्मरणों का उल्लेख किया और बताया कि अशोक सिंहल जी एक स्वप्नदर्शी और आदर्श आचरण को जीने वाले व्यक्ति थे. उन्होंने अपने विद्यार्थी जीवन में ही संघ कार्य करने का संकल्प लिया और आजीवन उस संकल्प को पूरा किया. अशोक सिंहल जी को ईश शक्ति और देशभक्ति पर पूरा भरोसा था. इसीलिए उन्होंने संघ के द्वितीय सरसंघचालक श्री गुरूजी के जीवन चऱि़त्र को अपना पाथेय बनाया. जैसा अवतारी जीवन श्री गुरूजी का था, ठीक वैसा ही यशस्वी जीवन अशोक सिंहल जी ने भी जीया. उन्होंने कहा कि अशोक सिंहल जी भले ही भौतिक जगत में नहीं रहे, लेकिन उनका आचरण सदियों तक हम सबका मार्गदर्शन करता रहेगा.
विहिप के प्रदेश मंत्री महेन्द्र नेगी ने उनका संक्षिप्त जीवन परिचय देते हुए बताया कि वर्ष 1926 में जन्मे अशोक सिंहल जी वर्ष 1942 में संघ से जुड़े और अपने जीवन में उन्होंने राम मंदिर आन्दोलन, पंजाब में सद्भावना यात्रा, कश्मीर में अमरनाथ आन्दोलन, एकल विद्यालय जैसे कई सफल प्रयोग किये. जिसने देश की राजनीति, धर्म और समाज को बहुत गहरे तक प्रभावित किया. प्रांत प्रचारक युद्धवीर जी ने कहा कि सिंहल जी न केवल एक समर्पित स्वयंसेवक थे, बल्कि वह अपने लक्ष्यों के प्रति जिस तरह से अडिग होकर काम करते थे. वह हम सभी स्वयंसेवकों के लिए अनुकरणीय हैं.
प्रांत कार्यवाह लक्ष्मी प्रसाद जायसवाल ने स्व. सिंहल जी को श्रद्धांजलि देते हुए उनका पुण्य स्मरण किया और कहा कि अशोक जी ने अपने जीवन में जो भी कार्य अपने हाथ में लिया, उसमें यशस्वी रहे. उनका संकल्प का धनी होना ही उनकी विशेषता बन गया. उन्होंने संघ कार्य को जीवन का श्रेष्ठ कार्य माना और आजीवन उसे निभाया. क्षेत्र सह संपर्क प्रमुख शशिकांत दीक्षित ने सिंहल जी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि सिंहल जी का व्यक्तित्व बहुआयामी था. वे एक बहुत ही कुशल संगीतकार थे. सिंहल जी गंगा की स्वच्छता और निर्मलता को लेकर बहुत सजग रहते थे. उन्हीं की प्रेरणा के चलते वर्ष 2010 में संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल में गंगा की निर्मलता के लिए प्रस्ताव पारित हुआ.
सभा में अन्य गणमान्यजनों ने भी अपने संस्मरण सुनाए.