नई दिल्ली. श्रद्धेय शंकराचार्य स्वामी निश्चलानन्द सरस्वती महाराज जी ने कहा कि हमारे पास पांच गुण, ज्ञान इंद्री, तत्व हैं. हमारे जीवन में तत्व को कसने की कसौटी है. शंकराचार्य जी चौधरी बंसी लाल विश्वविद्यालय एवं राष्ट्रीय शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के संयुक्त सौजन्य से वैदिक गणित पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में गणित विद्वानों एवं विद्यार्थियों को संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि परम् श्रद्धेय शकंराचार्य भारती कृष्णतीर्थ जी ने वैदिक गणित के 16 मूल सूत्रों की व्याख्या करने वाली 16 पुस्तकों की पांडुलिपियां लिखीं थीं, पर वे कहीं गुम हो गईं. उन्होंने ये पांडुलिपियाँ अपने एक शिष्य को संभाल कर रखने के लिए दी थीं. उन के खोजे सूत्र अंकगणित ही नहीं, बीजगणित और भूमिति सहित गणित की हर शाखा से संबंधित थे. अपने अंतिम दिनों में उन्होंने एक बार फिर यह भगीरथ प्रयास करना चाहा, लेकिन विधि के विधान ने एक बार फिर टांग अड़ा दी. वे केवल एक ही सूत्र पर दोबारा लिख पाए. उन्होंने जो कुछ लिखा था और उनके शिष्यों ने उनसे जो सीखा- सुना था, उसी के संकलन के आधार पर 1965 में वैदिक गणित नाम से एक पुस्तक प्रकाशित होने वाली थी. प्रकाशन से पहले ही बीमारी के कारण उनका जीवनकाल (1884 से 1960) पूरा हो चुका था. उन्होंने कहा कि वस्तु और गणना को कसने की कसौटी के दृष्टिकोण को जानने की जरूरत है. संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी वैदिक गणित को महत्व दिया है. विश्व में जितनी विधाएं हैं, उनका भाव 32 में पूर्ण होता है. विधा और कला की विभाजक रेखा शुक्र नीति में निहित है.
उन्होंने कहा कि दर्शन को गणित में ढालने की विधा आज लुप्त है जो चिन्तन का विषय है. उन्होंने काल की गणना को गणित मानते हुए गणित के तीन प्रकार काल ,वैदिक और वस्तु बताए. उन्होंने वैदिक गणित को पढ़ने और इसके प्रचार का आह्वान किया. कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आरके मित्तल ने श्रद्धेय शंकराचार्य स्वामी निश्चलानन्द जी सरस्वती को पुष्पमाला एवं शॉल भेंट की. डॉ. श्रीराम चौथाईवाले ने वैदिक गणित पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की. शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी ने मुख्यातिथि शंकराचार्य स्वामी निश्चलानन्द सरस्वती महाराज का स्वागत एवं आभार प्रकट किया. उन्होंने शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा संचालित कार्यक्रमों पर विस्तृत विचार रखे. इस अवसर पर तीन ग्रंथों का विमोचन किया गया.