कुरुक्षेत्र (विसंकें). हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल जी ने कहा कि हर विद्यार्थी को ललित कला का अभ्यास होना चाहिए. भारतीय संस्कृति कला परिषद और हरियाणा कला एवं सांस्कृतिक विभाग के जरिए अन्य देशों और प्रदेशों से संस्कृति के आदान-प्रदान को लेकर समझौता किया जाएगा. मुख्यमंत्री मनोहर लाल जी गीता वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में आयोजित अखिल भारतीय कला साधक संगम के समापन समारोह में बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कलाकारों से आह्वान किया कि कला संस्कृति की कोई भाषा और प्रदेश नहीं होता, कला, संगीत, नृत्य को केवल मनोरंजन तक ही सीमित नहीं रखना चाहिए. इसकी साधना करके अपने विचारों को शुद्ध करना चाहिए. कला साधना के माध्यम से ही अच्छे – बुरे की पहचान होती है और उच्च श्रेणी के समाज में परिवर्तन लाने के लिए अभी भी शिक्षा जगत में ओर अधिक परिवर्तन लाने की जरूरत है. अच्छे साहित्य, संगीत और कला के बिना मनुष्य के जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती. इसलिए जीवन को सफल बनाने के लिए कला और संस्कृति को आगे बढ़ाना होगा. इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण की कर्मभूमि कुरुक्षेत्र से गीता के संदेश को पूरी दुनिया में पहुंचाने का काम किया जा रहा है. इसके लिए सरकार ने गीता जयंती समारोह को अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का स्वरुप देने का काम किया. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की एक भारत-श्रेष्ठ भारत योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए हरियाणा एक-हरियाणवी एक की नीति पर कार्य कर रही है. सरकार का ध्येय है कि हरियाणा देश के सभी प्रांतों में श्रेष्ठ प्रदेश के रूप में अपनी जगह बनाए.
अंतरराष्ट्रीय स्तर के कम से कम हों 100 स्कूल – सुभाष घई जी
प्रसिद्ध फिल्म निर्माता सुभाष घई जी ने कहा कि देश में फिल्म उद्योग को मुकाम तक पहुंचाने और पूरी दुनिया में भारत का सिक्का जमाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर के 100 स्कूल होने चाहिए. विदेशी लोग भारतीय कहानियों पर फिल्में बनाकर अपना नाम रोशन कर रहे हैं. भारतीय भी ऐसा कर सकते हैं. कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों में विशेष प्रयास होने चाहिए. अमेरिका की तर्ज पर प्राथमिक शिक्षा से एक पीरियड हर स्कूल में कला और संस्कृति का होना चाहिए. इसके लिए कुरुक्षेत्र में पहल की जा सकती है. उनका सपना है कि भगवान श्रीकृष्ण को पूरी दुनिया जाने. इस पर फिल्म बनाना चाहते हैं. सुभाष घई जी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा कुरुक्षेत्र को सांस्कृतिक राजधानी के रूप में विकसित करने के प्रयास चल रहे हैं. हरियाणा से उनका गहरा नाता रहा है. इसलिए यहां फिल्म और कला संस्कृति को बढ़ावा देना वे अपना फर्ज समझते हैं. प्राचीन इतिहास और संस्कृति पर शोध करके ही नवीन भारत का उदय किया जा सकता है. आमजन को कला और संस्कृति के रंग में रंगना होगा. जब आम नागरिक कला और संस्कृति को केवल परीक्षाओं से जोड़कर देखेंगे तो कला और संस्कृति का विकास संभव नहीं होगा. इसके लिए पूरी आत्मीयता, आध्यात्मिकता और कलात्मक शिक्षा का ज्ञान अर्जित करना होगा.
उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति समृद्ध है, मगर उसको सही रूप से पेश नहीं किया जा रहा है. विदेशी सिनेमाकार भारतीय इतिहास एवं कहानियों को चुराकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत कर रहे हैं. इसका कारण हिन्दुस्तान में फिल्मी प्रशिक्षण स्कूल न होना है. उन्होंने कहा कि केवल डांस करने और गाना गाने को ही संस्कृति या कला नहीं समझना चाहिए. इस विषय को समझने के लिए अपने मन की भावना को साथ जोड़ना होगा. इतना ही नहीं स्कूलों और शिक्षण संस्थानों में कला और संस्कृति की शिक्षा देने के लिए भारत सरकार की तरफ से नई शिक्षा नीति भी तैयार की जा रही है.