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हिन्दू बच्चियों के लिए नरक बना पाकिस्तान…….

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क्या सेकुलर ब्रिगेड को इनके परिजनों का दर्द नहीं दिखता…?

पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने 2010 में रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें कहा गया कि पाकिस्तान में प्रत्येक माह 25 बच्चियों-लड़कियों का अपहरण, जबरन इस्लाम में मतांतरण और बलात निकाह करवाया जा रहा था. बाद के सालों में ये आंकड़ा और बढ़ गया. नए आंकड़ों के अनुसार सिंध में प्रतिदिन एक हिन्दू लड़की अगवा हो रही है. पाकिस्तान में अब सिर्फ 26 लाख हिन्दू बचे हैं, जिनमें से 95 प्रतिशत सिंध में रहते हैं. इनमें से 82 प्रतिशत (भारत की विधि के अनुसार)अनुसूचित जाति में आते हैं. जिनमें से ज्यादातर खेतिहर श्रमिक हैं, और बंधुआ मजदूरों का जीवन बिता रहे हैं. मीरपुर ख़ास, संगर और उमरकोट में हिन्दुओं की बड़ी संख्या है. इसके अलावा कराची, पेशावर, लाहौर और क्वेटा में कुछ हिन्दू रहते हैं.

दिसंबर 2012 में उमरकोट, सिंध की विजंती मेघवार नामक 6 वर्षीय बालिका के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ. बच्ची सड़क के किनारे बेहोश पड़ी मिली. उसे यातनाएं भी दी गईं थीं. आरोपियों के नाम सामने आ गए. पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति ज़रदारी के आश्वासन के बाद भी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई. विजंती के परिवार को नेताओं और पुलिस ने धमकाकर चुप करा दिया.

ननकाना साहिब के तम्बू साहिब गुरुद्वारे के ग्रंथी भगवान सिंह की 19 वर्षीय बेटी को 28 अगस्त 2019 की रात को बन्दूक की नोक पर उठा लिया गया. लड़की के परिवार ने वीडियो जारी करके इमरान खान से न्याय दिलाने की याचना की, और बताया कि पुलिस सब कुछ जानते हुए उनकी बेटी को वापस लाने के लिए कुछ नहीं कर रही है, इसके उलट उन्हें मुंह बंद रखने को धमकाया जा रहा है. पर, कुछ नहीं हुआ.

मामला अंतरराष्ट्रीय मीडिया में उछला तो उन्हें एक वीडियो भेजा गया, जिसमें उनकी बेटी को उसके तथाकथित पति के बाजू में बिठाकर उससे पूछा गया कि क्या उसने अपनी मर्जी से इस्लाम कबूला है? सहमी लड़की ने “हां” में उत्तर दिया.

29 अगस्त, 2019 को इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक ए इन्साफ के मिर्ज़ा दिलवार बेग के घर में बीबीए की पढ़ाई कर रही एक हिन्दू लडकी को अपहृत करके लाया गया. अपहरण करने वाला था – बाबर अमन, जिसके साथ उसका बलात निकाह करवा दिया गया. मीडिया में खबर भी बनी, लेकिन लड़की आज भी अपहरणकर्ता के कब्जे में है. 13 साल की रवीना और उसकी 15 वर्षीय बहन रीना का अपहरण कर निकाह करवा दिया गया. लड़कियों के पिता और भाई अदालत पहुंचे. 11 अप्रैल, 2019 को इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने फैसला दिया कि दोनों बहनों ने अपनी मर्जी से निकाह किया है.

10 नवंबर, 2010 को लाइनी जिले की पूनम अचानक घर से गायब हो गई. परेशान मां-बाप को दो दिनों बाद पता चला कि उसे एक स्थानीय मदरसे में ले जाकर रखा गया है और मुस्लिम बना दिया गया है. पूनम के पिता भंवरू ने बताया कि जब वो पत्नी के साथ बेटी से मिलने गया तो भयभीत बालिका ने रोते हुए कहा कि वो घर चलना चाहती है, लेकिन इमाम साहब उसे जाने नहीं देंगे. भंवरू पुलिस के पास गया, लेकिन रिपोर्ट भी न लिखी गई.

अगस्त 2012 में 14 वर्षीय मनीषा कुमारी का बलात निकाह 26 वर्षीय गुलाम मुस्तफा से करवा दिया गया. घर वाले न्याय की चौखट पर पहुंचे. अदालत ने माना कि लड़की नाबालिग है, लेकिन यह कहते हुए निकाह को जायज़ ठहराया कि उसकी उम्र शादी के लिए ठीक है, और मनीषा को गुलाम मुस्तफा को सौंप दिया.

12 साल की मोमल मेघवार को 5 हथियारबंद लोगों ने 13 नवंबर, 2012 को ईंट भट्टे पर काम करते हुए उसके परिवार की आंखों के सामने से अगवा कर लिया. फिर उसका निकाह करवा दिया गया. पहले तो रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई. धरने प्रदर्शन के बाद मामला न्यायालय में पहुंचा. पिता ने अदालत से कहा कि उनकी बच्ची पर ज़ुल्म हुआ है, और वो अभी नाबालिग है. अदालत का उत्तर था “इस्लाम क़ुबूल करने की कोई उम्र नहीं होती.”

17 साल की आशा कुमारी ब्यूटी पार्लर में प्रशिक्षण लेने जाती थी. उसे पार्लर से अपहृत कर लिया गया, और 40 लाख की फिरौती मांगी गई. परिवार ने किसी तरह 40 लाख जुटाकर अपहरणकर्ताओं को दिए, पर आशा को तब भी नहीं लौटाया गया और एक दिन अचानक उसके इस्लाम कबूलने और निकाह हो जाने की खबर आई. अदालत से भी न्याय नहीं मिला.

ह्यूमन राइट्स कमीशन के कांजा भील का कहना है कि अपहरण के अधिकांश मामलों में रिपोर्ट भी नहीं लिखी जाती. अगर मामला अदालत तक पहुंच भी गया, तो जब लड़की को अदालत में पेश किया जाता है, इस्लाम के नारे लगाती भीड़ उसके पीछे अदालत तक चलती है. लड़की इतना डर चुकी होती है, कि सच नहीं बोल पाती. इनमें से ज्यादातर लड़कियां कुछ समय बाद गायब हो जाती हैं. उन्हें वेश्यावृत्ति में धकेल दिया जाता है या अरब के शेखों को बेच दिया जाता है. कुछ बाद में सड़कों पर भीख मांगती मिलती हैं.

पिछले दिनों वकील और पाकिस्तान अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष अमरनाथ ने एक टीवी कार्यक्रम में बताया था कि एक 21 वर्षीय हिन्दू लड़की का अपहरण हुआ. अमरनाथ लड़की के मां-बाप की तरफ से पैरवी कर रहे थे. उन्होंने अदालत से कहा कि लड़की बालिग़ है, उसे अदालत में बुलाया जाए. वो हमारे सामने एक बार कह दे कि उसने अपनी मर्जी से इस्लाम क़ुबूल किया है, हम मुकदमा वापस ले लेंगे.

लेकिन लड़की को कभी अदालत में पेश नहीं किया गया. डेढ़ साल बाद अमरनाथ ने लड़की के पिता की तरफ से अदालत से याचना की कि हमें लड़की के “शौहर” की तरफ से जमानत दिलवाएं कि लड़की को बेचा नहीं जाएगा और उसके माता-पिता को उसके सही सलामत होने की जानकारी दी जाती रहेगी. इसे भी नहीं माना गया. अदालत ने उस अपहृत लडकी के “निकाह” को जायज़ ठहराया और तलाक की स्थिति में लड़की की सुरक्षा के लिए दी जाने वाली मेहर (राशि) तय की गई 500 रुपए.

अमरनाथ एक और किस्सा बताते हैं – लाहौर की एक हिन्दू डॉक्टर युवती का अपहरण हो गया और उसकी शादी उसी अस्पताल में काम करने वाले एक मुस्लिम कंपाउंडर से करवा दी गई. एक हफ्ते बाद तलाक़ हो गया. छह माह बाद उसका शव मिला. पुलिस ने “खुदकुशी” बताकर मामले को बंद कर दिया.

मोदी सरकार द्वारा संसद में प्रस्तुत नागरिकता संशोधन विधेयक पाकिस्तान के ऐसे हिन्दू, सिक्ख, बौद्ध, पारसी, ईसाई परिवारों के लिए जिंदगी की किरण बन सकता है, जो अपना सम्मान और अपने पुरखों की परम्पराओं को बचाकर जीना चाहते हैं. अपने बच्चों, अपनी जान को सलामत रखना चाहते हैं.

प्रशांत बाजपई

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