
सिवान, बिहार (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले जी ने कहा कि समाज को ठीक रखने के लिए समय-समय पर विचार-विमर्श करना भारतीय संस्कृति का प्रमुख कार्य रहा है. कालांतर में यह प्रक्रिया बाधित हुई और हम कई रूढि़यों और विकृतियों के शिकार हुए. आज जल, जमीन, जंगल और जानवर संकट में है. एक-दूसरे को नष्ट कर डालना एक खास समुदाय की पहचान बन गई है. अगर समय रहते हिन्दू समाज जागृत नहीं हुआ तो हम संग्रहालय में रखी जाने वाली वस्तु बन जायेंगे.
सिवान शहर स्थित महावीरी सरस्वती विद्या मंदिर के प्रांगण में धर्म रक्षा समिति द्वारा आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि समाज को जागृत करने के लिए गांव-गांव में धर्म रक्षा समिति का गठन करना है. इसके माध्यम से गांव की परंपरा को अक्षुण्ण रखते हुए जल, जानवर और जमीन की रक्षा करनी है. घर-घर में अच्छे संस्कार देने पर ही एक सुसभ्य, सुसंस्कृत एवं समर्थवान भारत का निर्माण हो पायेगा.
धर्म जागरण समन्वय के क्षेत्रीय प्रमुख सूबेदार सिंह जी ने कहा कि घर वापसी कोई नई बात नहीं है. आतताइयों के आक्रमण के पूर्व भारत में कोई मुसलमान नहीं था. आदि गुरू शंकराचार्य ने शास्त्रार्थ के बल पर कई मुस्लिम व इसाई को मतावलंबियों को हिन्दू धर्म स्वीकार करवाया था. मीर कासिम ने भारत की 35 हजार महिलाओं को अरब ले जाकर बेच दिया था. उसी समय वैदिक धर्म की बुझती साख को बचाने के लिए धर्म जागरण समन्वय की स्थापना हुई. मुस्लिम काल में तुगलक हो या लोदी सब नाना प्रकार की कोशिश करके भी बहुसंख्यक समाज को मुस्लिम नहीं बना पाये. आवश्यकता है, उस प्रतिरोध को आज भी जीवित रखने की. यह कार्य धर्म जागरण समन्वय विभाग गांव व पंचायत स्तर पर धर्म रक्षा समिति का गठन कर पूरा करेगा. संगोष्ठी में सिवान, गोपालगंज, छपरा सहित अन्य जिलों के सैकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया. कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ समाजसेवी विजय कुमार सिंह ने किया.

