भुवनेश्वर. कोरोना संकट के दौरान सरकार ने लॉकडाउन की घोषणा की. लॉकडाउन के दौरान सरकार ने दूरदर्शन पर सुप्रसिद्ध धारावाहिक रामायण को पुनः दिखाने का निर्णय लिया. उसके सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहे हैं. नई पीढ़ी प्रभु श्रीराम को जान- समझ रही है. रामायण देख सौराष्ट्र की भाविका प्रभावित हुई और उसने रामकथा करना प्रारंभ किया. उसने प्रभु श्रीराम के भव्य धाम के निर्माण के लिए रामकथा के आयोजन से राशि एकत्र की.
भुवनेश्वर में 10 साल की छोटी उम्र में आयुष ने कमाल कर दिया. लॉकडाउन में टेलीविजन पर रामायण सीरियल देखकर पूरी रामायण लिख दी.
रामायण लिखने वाले 10 साल के बच्चे का नाम आयुष कुमार खुंटिया है. आयुष ने उड़िया भाषा में महाकाव्य ‘पिलाका रामायण’ की रचना की है. पिलाका रामायण में कुल 104 पृष्ठ हैं. पिलाका रामायण को बच्चों की रामायण भी कहा जा रहा है.
आयुष कुमार खुंटिया ने बताया कि पिछले साल मेरे अंकल ने मुझे रामायण सीरियल देखने के लिए कहा था. उन्होंने ये भी कहा था कि रामायण के एपिसोड देखने के बाद मैं उस पर कुछ लिखूं. ‘मैंने टीवी पर रामायण के सारे एपिसोड देखे और एक-एक एपिसोड को उड़िया भाषा में अपनी नोटबुक पर लिखा. मुझे पिलाका रामायण को पूरा करने में दो महीने का वक्त लगा.’
पिलाका रामायण लिखने वाले 10 साल के आयुष ने बताया कि मैंने अपनी किताब में कई घटनाओं के बारे में लिखा. जैसे- भगवान राम का 14 साल के लिए घर छोड़कर जाना और पंचवटी वन से माता सीता का अपहरण. मैंने अयोध्या में भगवान राम के लौटने पर उनके भव्य स्वागत के बारे में भी लिखा.
आयुष कुमार खुंटिया ने लोगों से अपील की कि सभी को पढ़ने-लिखने की आदत डालनी चाहिए. इससे आप जीवन की नई ऊंचाइयों पर पहुंच सकते हैं.