सीमावर्ती क्षेत्रों के लिए सर्वहितकारी शिक्षा समिति चला रही शिक्षा सेवा अभियान
विद्याधाम, जालंधर. सर्वहितकारी शिक्षा समिति द्वारा सीमावर्ती क्षेत्रों में चलाए जा रहे शिक्षा सेवा अभियान में सक्रिय सहयोग देने तथा सर्वहितकारी शिक्षा समिति का श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व को समर्पित चौथा एनआरआई सम्मेलन संपन्न हुआ. सम्मेलन सर्वहितकारी शिक्षा समिति के मुख्यालय विद्याधाम के डॉ. आंबेडकर सभागार में संपन्न हुआ. इसमें राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त NRI और विद्वानों ने भाग लिया.
सम्मेलन में विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के महामंत्री शिवकुमार ने कहा कि “भारत की स्वतन्त्रता के बाद भी शिक्षा की ओर उतना ध्यान नहीं दिया गया, जितनी आवश्यकता थी. हमारी शिक्षा व्यवस्था पहले वाली (परतंत्रता काल वाली ही) ही चलती रही. स्वतन्त्रता के बाद शिक्षा व्यवस्था का तन्त्र और विचार स्वदेशी होना चाहिए था, परन्तु तत्कालीन शासकों ने इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता ही नहीं समझी. अपने देश के बालकों में देश के महापुरुषों और परम्पराओं के प्रति श्रद्धा व स्वाभिमान पैदा हो, इस उद्देश्य को लेकर सन् 1952 में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में पहला सरस्वती विद्या मंदिर प्रारम्भ किया गया. हमारी कार्य पद्धति से देश के लोग बहुत प्रभावित हुए और जन सामान्य ने इस कार्य को हृदय से स्वीकार किया. जिसके फलस्वरूप यह कार्य धीरे-धीरे बढ़ता रहा और देश के सभी प्रान्तों में विस्तार हुआ. सन् 1977 में विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान की स्थापना हुई. सन् 1952 में शुरू हुआ कार्य एक बीज रूप में था, आज वह एक वट वृक्ष का रूप धारण कर चुका है. आज सम्पूर्ण देश में 13 हजार औपचारिक और 15 हजार अनौपचारिक शिक्षण संस्थानों का कुशलतापूर्वक संचालन किया जा रहा है. पंजाब में भी 127 औपचारिक और 377 अनौपचारिक (एकल शिक्षक विद्यालय) चल रहे हैं.”
सम्मेलन के संयोजक मनोज ने बताया कि पंजाब के अनिवासी भारतीयों को शिक्षा सेवा से जोड़ने के लिए सर्वहितकारी शिक्षा समिति ने पिछले तीन वर्षों से यह प्रयास प्रारम्भ किया है. इस कड़ी में यह चौथा सम्मेलन है. इस प्रयास के परिणामस्वरूप 10 से भी अधिक अनिवासी भारतीय पंजाब के विभिन्न क्षेत्रों में शिक्षा सेवा से जुड़ रहे हैं. पंजाब के सीमान्त गावों में बड़ी संख्या में संस्कार केंद्र खोले जा रहे हैं.
सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में समाज सेवी और प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने में अग्रणी भूमिका निभाने वाले उमेन्द्र दत्त ने कहा कि खेती को खुराक से, खुराक को विद्यार्थियों और स्वास्थ्य से जोड़ना है. उन्होंने सर्वहितकारी शिक्षा समिति से भी अपने विद्यार्थियों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने का आह्वान किया. पंजाब ने हरित क्रान्ति के बाद देश के अन्न भण्डार तो भर दिए, परन्तु इसकी बहुत बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ी. इस हरित क्रान्ति के कारण जमीन से इतना अधिक पानी निकाला जा चुका है कि आज पंजाब के अधिकतर हिस्सों में जलस्तर चिंताजनक स्तर तक घट चुका है. अगर आज हमने अपने में सुधार नहीं किया तो वह दिन दूर नहीं जब हम बूंद-बूंद को तरसेंगे.
सम्मेलन में 35 देशों से 80 अनिवासी भारतीयों ने भाग लिया. सभी ने शिक्षा सेवा के कार्य की प्रशंसा करने के साथ ही अभियान से जुड़ने का संकल्प लिया. सम्मेलन में सर्वहितकारी विद्या मंदिरों के विद्यार्थियों द्वारा बनाई गई कला कृतियों का भी प्रदर्शन किया गया. सर्वहितकारी विद्या मंदिर लाडोवाली रोड के विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए. अनिवासी भारतीयों के अतिरिक्त अनेक गणमान्य लोगों ने सम्मेलन में भाग लिया.