श्रीनगर. गांदरबल जिले के तुलमुल्ला में बुधवार को प्रसिद्ध और वार्षिक माता खीर भवानी मेला शुरू हो गया. प्रसिद्ध राग्या देवी मंदिर स्थित खीर भवानी मेले में श्रद्धासुमन अर्पित करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. इस बार प्रशासन की ओर से सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. घाटी के अमरनाथ में बाबा बर्फानी के बाद खीर भवानी मेले की सबसे ज्यादा पहचान है. इस मेले में बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं. पिछले दो साल से कोरोना महामारी के चलते खीर भवानी मेले का आयोजन नहीं हो सका.
गृह मंत्रालय द्वारा प्रदत्त जानकारी के अनुसार,. ज्येष्ठ अष्टमी पर करीब 18,000 कश्मीरी पंडितों और भक्तों ने माता खीर भवानी मंदिर के दर्शन किए. शाम की आरती में करीब 2500 कश्मीरी पंडितों ने हिस्सा लिया.
खीर शब्द का तात्पर्य दूध और चावल के हलवे से है जो देवी को प्रसन्न करने के लिए चढ़ाया जाता है. खीर भवानी को कभी-कभी ‘दूध देवी’ के रूप में व्यक्त किया जाता है. खीर भवानी की पूजा कश्मीर के हिंदुओं के बीच सार्वभौमिक है, उनमें से ज्यादातर जो उन्हें अपने संरक्षक देवता कुलदेवी के रूप में पूजते हैं. मंदिर के अंदर के तालाब के पानी का ऐतिहासिक महत्व है क्योंकि स्थानीय लोगों का मानना है कि त्योहार के दिन इसके पानी का रंग अगले साल तक होने वाली घटनाओं का पूर्वाभास देता है. स्थानीय धर्मार्थ ट्रस्ट झरनों से घिरे भूमि के एक बड़े टुकड़े में फैले तीर्थ परिसर का रखरखाव करता है.
हालांकि, घाटी में हाल ही में लक्षित हत्याओं और प्रधानमंत्री के विशेष पैकेज प्रवासी कर्मचारियों को सुरक्षा चिंताओं के कारण जम्मू में स्थानांतरित करने के उनके आह्वान के कारण भक्तों की सामान्य भीड़ है. यहां यह उल्लेख करना उचित होगा कि कश्मीर में एक महीने में 9 लक्षित हत्याएं हुई हैं.
दो वर्ष बाद मेले का हुआ है आयोजन
आपको बता दें कि करीब दो वर्ष बाद तुलमुला में मां क्षीर भवानी मेला आयोजित हुआ है. हालांकि मेले पर टारगेट किलिंग का असर देखने को मिला, फिर भी काफी संख्या में कश्मीरी हिन्दू मेले में शामिल होने के लिए जम्मू सहित दूसरे राज्यों से यहां पहुंचे हैं. वर्ष 2020 और 2021 में कोविड-19 की पाबंदियों के चलते मेला आयोजित नहीं हुआ था.