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2020 के बेंगलुरु दंगे – आरोपियों को सर्वोच्च न्यायालय ने नहीं दी जमानत, एनआईए जांच में हस्तक्षेप से इंकार

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नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने 2020 में हुए बेंगलुरु दंगों के 150 आरोपियों को जमानत देने से इंकार दिया। जस्टिस बीवी नागरत्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले में एनआईए की जांच में दखल देने से इनकार कर दिया। सभी आरोपी सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के सदस्य हैं। 2020 के बेंगलुरु दंगे के दौरान तीन लोगों की मौत हो गई थी और करीब 60 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे।

न्यायालय ने इस बात पर गौर किया कि कर्नाटक में यूएपीए के मामलों से निपटने के लिए स्पेशल न्यायालय की कमी है। न्यायालय ने कर्नाटक सरकार को निर्देश दिया कि वो राज्य में तीन महीने के अंदर और स्पेशल न्यायालय की स्थापना करे।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील ने कहा कि मामले में ट्रायल लंबे समय से लंबित है और इसके जल्द शुरू होने की संभावना नहीं दिख रही है। कर्नाटक में एनआईए के मामले काफी संख्या में लंबित हैं और इसकी बड़ी वजह स्पेशल न्यायालय की कमी है।

सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार (13 फरवरी) शब्बर खान सहित अन्य आरोपियों को जमानत देने से इनकार कर दिया।

शब्बर के खिलाफ आरोप है कि उन्होंने भीड़ के साथ मिलकर अगस्त, 2020 में तत्कालीन कांग्रेस विधायक अखंड श्रीवास मूर्ति के आवास और केजी हल्ली और डीजे हल्ली के पुलिस स्टेशनों के आसपास हिंसा की थी।

जांच के बाद पुलिस ने 198 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। इनमें से 138 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र भी दाखिल हो चुका है। 138 में से 25 आरोपियों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत गंभीर आरोप लगाए गए हैं।

 

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