करंट टॉपिक्स

28 मई / जन्मदिवस – अप्रतिम क्रांतिकारी, कवि, इतिहासकार वीर विनायक दामोदर सावरकर

Spread the love

veer-savarkar-0123

नई दिल्ली. अप्रतिम क्रांतिकारी, समर्पित समाज सुधारक, महान कवि और महान इतिहासकार वीर सावरकर. सावरकर भारत के पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के केन्द्र लंदन में उसके विरूद्ध क्रांतिकारी आंदोलन संगठित किया था. वे पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने वर्ष 1905 के बंग-भंग के बाद 1906 में ‘स्वदेशी’ का नारा देकर, विदेशी कपड़ों की होली जलाई थी और उन्हें अपने विचारों के कारण बैरिस्टर की डिग्री खोनी पड़ी.

सावरकर भारत के पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने 1857 के आंदोलन को भारत का ‘स्वाधीनता संग्राम’ बताते हुए लगभग एक हज़ार पृष्ठों का इतिहास 1907 में लिखा. वे भारत के पहले और दुनिया के एकमात्र लेखक थे, जिनकी किताब को प्रकाशित होने के पहले ही ब्रिटिश और ब्रिटिश साम्राज्य की सरकारों ने प्रतिबंधित कर दिया था. सावरकर ने ही वह पहला भारतीय झंडा बनाया था, जिसे जर्मनी में 1907 की अंतरराष्ट्रीय सोशलिस्ट कांग्रेस में मैडम कामा ने फहराया था.

सावरकर जी ने लिखा -“मातृभूमि! तेरे चरणों में पहले ही मैं अपना मन अर्पित कर चुका हूँ. देश सेवा में ईश्वर सेवा है, यह मानकर मैंने तेरी सेवा के माध्यम से भगवान की सेवा की”. उनका दृढ़ विश्वास था कि सामाजिक एवं सार्वजनिक सुधार बराबरी का महत्त्व रखते हैं व एक दूसरे के पूरक हैं.

विनायक दामोदर सावरकर का जन्म ग्राम भगूर (जिला नासिक, महाराष्ट्र) में 28 मई, 1883 को हुआ था. छात्र जीवन में लोकमान्य तिलक के समाचार पत्र ‘केसरी’ का बहुत प्रभाव पड़ा और अपने जीवन का लक्ष्य देश की स्वतन्त्रता को बना लिया. 1905 में विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार को लेकर आन्दोलन चलाया. जब तीनों चाफेकर बन्धुओं को फाँसी हुई, तो इन्होंने एक मार्मिक कविता लिखी. फिर रात में उसे पढ़कर स्वयं ही सिसकियाँ लेकर रोने लगे. इस पर उनके पिताजी ने उठकर इन्हें चुप कराया.

सावरकर जी सशस्त्र क्रान्ति के पक्षधर थे. उनकी इच्छा विदेश जाकर वहां से शस्त्र भारत भेजने की थी. अतः वे श्यामजी कृष्ण वर्मा द्वारा दी जाने वाली छात्रवृत्ति लेकर ब्रिटेन चले गये. लन्दन का ‘इंडिया हाउस’ उनकी गतिविधियों का केन्द्र था. वहां रहने वाले अनेक छात्रों को उन्होंने क्रान्ति के लिए प्रेरित किया. कर्जन वायली को मारने वाले मदनलाल धींगरा उनमें से एक थे.

उनकी गतिविधियाँ देखकर ब्रिटिश पुलिस ने उन्हें 13 मार्च, 1910 को पकड़ लिया. उन पर भारत में भी अनेक मुकदमे चल रहे थे, अतः उन्हें मोरिया नामक जलयान से भारत लाया जाने लगा. 10  जुलाई, 1910 को जब वह फ्रान्स के मोर्सेल्स बन्दरगाह पर खड़ा था, तो वे शौच के बहाने शौचालय में गये और वहां से समुद्र में कूदकर तैरते हुए तट पर पहुंच गये.

तट पर उन्होंने स्वयं को फ्रान्सीसी पुलिसकर्मी के हवाले कर दिया. उनका पीछा कर रहे अंग्रेज सैनिकों ने उन्हें फ्रान्सीसी पुलिस से ले लिया. यह अन्तरराष्ट्रीय विधि के विपरीत था. इसलिए यह मुकदमा हेग के अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय तक पहुंचा, जहां उन्हें अंग्रेज शासन के विरुद्ध षड्यन्त्र रचने तथा शस्त्र भारत भेजने के अपराध में आजन्म कारावास की सजा सुनाई गयी. उनकी सारी सम्पत्ति भी जब्त कर ली गयी.

सावरकर जी ने ब्रिटिश अभिलेखागारों का गहन अध्ययन कर ‘1857 का स्वाधीनता संग्राम’ नामक महत्वपूर्ण ग्रन्थ लिखा. फिर इसे गुप्त रूप से छपने के लिए भारत भेजा गया. ब्रिटिश शासन इस ग्रन्थ के लेखन एवं प्रकाशन की सूचना से ही थर्रा गया. विश्व इतिहास में यह एकमात्र ग्रन्थ था, जिसे प्रकाशन से पहले ही प्रतिबन्धित कर दिया गया. प्रकाशक ने इसे गुप्त रूप से पेरिस भेजा. वहां भी ब्रिटिश गुप्तचर विभाग ने इसे छपने नहीं दिया. अन्ततः 1909 में हालैण्ड से यह प्रकाशित हुआ. यह आज भी 1857 के स्वाधीनता समर का सर्वाधिक विश्वसनीय ग्रन्थ है.

1911 में उन्हें एक और आजन्म कारावास की सजा सुनाकर कालेपानी भेज दिया गया. इस प्रकार उन्हें दो जन्मों का कारावास मिला. वहां इनके बड़े भाई गणेश सावरकर भी बन्द थे. जेल में घोर अत्याचार किये गये. कोल्हू में जोतकर तेल निकालना, नारियल कूटना, कोड़ों की मार, भूखे-प्यासे रखना, कई दिन तक लगातार खड़े रखना, हथकड़ी और बेड़ी में जकड़ना जैसी यातनाएँ इन्हें हर दिन ही झेलनी पड़ती थीं.

1921 में उन्हें अन्दमान से रत्नागिरी भेजा गया. 1937 में वे वहां से भी मुक्त कर दिये गये, पर सुभाषचन्द्र बोस के साथ मिलकर वे क्रान्ति की योजना में लगे रहे. 1947 में स्वतन्त्रता के बाद उन्हें गांधी हत्या के झूठे मुकदमे में फंसाया गया, पर वे निर्दोष सिद्ध हुए. वे राजनीति के हिन्दूकरण तथा हिन्दुओं के सैनिकीकरण के प्रबल पक्षधर थे. स्वास्थ्य बहुत बिगड़ जाने पर वीर सावरकर ने प्रायोपवेशन द्वारा 26 फरवरी, 1966 को देह त्याग दी.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *