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रायपुर, छत्तीसगढ़। बीजापुर कभी नक्सलवाद से इतना ग्रसित था कि यहां कोई भी मदद पहुंचाने या प्रशासनिक कार्य करने में बाधा होती थी। अब सुरक्षा एजेंसियों ने लगातार ऑपरेशन कर नक्सलियों की जड़ को हिलाकर रख दिया है। कुछ दिन पहले सुकमा में हुए बड़े एनकाउंटर के बाद बीजापुर जिले में सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता मिली है। सुरक्षा बलों की कार्रवाई से घबराए नक्सली अब आत्मसमर्पण की राह चुन रहे हैं। बीजापुर में एक साथ पचास नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है।
पिछले 86 दिनों में 133 नक्सलियों का सफाया किया जा चुका है। सुरक्षा दल पूरी जान लगाकर नक्सलवाद को खत्म करने में जुटे हैं। पिछले दिनों सुकमा में हुई मुठभेड़ में 17 नक्सलियों को मार गिराया था।
पुलिस के अनुसार, इन 50 नक्सलियों ने बीजापुर जिले में पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के वरिष्ठ अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण किया है। इनमें 14 नक्सली ऐसे हैं, जिन पर कुल मिलाकर 68 लाख रुपये का इनाम घोषित था। नक्सलियों के सरेंडर करने से क्षेत्र में नक्सली गतिविधियों को रोकने में मदद मिलेगी। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को सरकार की पुनर्वास नीति के तहत मदद दी जाएगी।
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में 10 महिलाएं भी शामिल थीं। इन नक्सलियों ने माओवादी विचारधारा की सच्चाई को समझकर हथियार डालने का फैसला किया। बीजापुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जितेंद्र कुमार यादव ने बताया कि नक्सली “नियद नेल्लानार योजना” और सुरक्षाबलों के प्रयासों से प्रभावित थे।
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में से रविंद्र करम, रोनी पारसिक, राकेश कड़ती, कोपे लेकाम, शांति ताती और सोनू हेमला माओवादी संगठन पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी में महत्वपूर्ण पदों पर थे। इन सभी पर 8-8 लाख रुपये का इनाम था। इसके अलावा, तीन नक्सलियों पर 5 लाख और पांच पर 1-1 लाख का इनाम था।