रोहतक. कृषि सुधारों के खिलाफ किसान आंदोलन के नाम पर विभिन्न स्थानों पर हिंसा का क्रम, राजनीतिक स्वार्थ सिद्ध करने के लिए चुनाव प्रचार में भागीदारी (प. बंगाल), जनप्रतिनिधियों के साथ अभद्र व्यवहार (पंजाब) का क्रम जारी है. तथाकथित किसान नेताओं, वामपंथी गुटों, विपक्ष द्वारा अपनी नाक बचाने के लिए किसानों का उपयोग किया जा रहा है. केंद्रीय मंत्रियों, यहां तक की प्रधानमंत्री के आश्वासन पर भी विश्वास नहीं किया जा रहा.
दूसरी ओर केंद्र सरकार सहित भाजपा शासित राज्य सरकारें किसानों की समस्याओं व शंकाओं के समाधान के लिए निर्णय ले रही हैं. पंजाब के किसान कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के बीच केंद्र सरकार के फैसले से खुश हैं. केंद्र सरकार ने फसलों की खरीद का भुगतान सीधे किसानों के खाते में ऑनलाइन माध्यम से करने के निर्देश दिए हैं. इससे राज्य के किसान खुश हैं. पंजाब के किसान लंबे समय से फसल खरीद की सीधी अदायगी की मांग कर रहे थे.
वहीं, अब हरियाणा सरकार ने घोषणा की है कि रबी सत्र के दौरान किसानों को उनकी फसलों की खऱीद के लिए भुगतान में देरी होती है तो किसानों को 9 प्रतिशत ब्याज का भुगतान किया जाएगा. खरीदी गई फसलों का भुगतान सीधे किसानों के सत्यापित खातों में किया जाएगा.
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पिछले सप्ताह आगामी खरीद सत्र में लगे अधिकारियों की बैठक की अध्यक्षता करते हुए यह घोषणा की. नई व्यवस्था एक अप्रैल से शुरू होने वाले रबी सत्र से लागू होगी.
बैठक में उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला भी उपस्थित थे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि, ”किसानों को निर्धारित समय अवधि के भीतर अपनी खरीदी गई उपज का भुगतान करना होगा. भुगतान में किसी भी तरह की देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी. किसानों को समय पर भुगतान किया जाए, यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदारियां तय की जानी चाहिए.”
बैठक के दौरान, मुख्यमंत्री ने फसलों की सुचारू खरीद के लिए किए जा रहे प्रबंधों की भी समीक्षा की और संबंधित विभागों, खरीद एजेंसियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि राज्य भर में विभिन्न मंडियों में किसानों को अपनी उपज बेचते समय किसी भी असुविधा का सामना न करना पड़े. ”अग्रिम निर्धारित योजना बनाकर परेशानी से मुक्त और समयबद्ध खरीद सुनिश्चित की जानी चाहिए ताकि किसानों को किसी तरह की परेशानी न हो.”
गेहूं और सरसों की खरीद एक अप्रैल से शुरू होगी, जबकि अन्य फसलों की खरीद 10 अप्रैल से शुरू होगी. अधिकारियों को निर्देश दिया कि इन खरीद केंद्रों की स्थापना के लिए आवश्यक स्थानों की समय पर पहचान जल्द से जल्द की जानी चाहिए. ”मंडियों से फसलों को समय पर उठाने के लिए उपयुक्त परिवहन व्यवस्था की जानी चाहिए और अगर कोई ट्रांसपोर्टर 48 घंटे के भीतर फसलों को उठाने में विफल रहता है, तो उपायुक्तों को किसी भी वैकल्पिक परिवहन व्यवस्था के साथ तैयार रहना चाहिए.”