नई दिल्ली. विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में एक बृहद पर्यावरण शुद्धि यज्ञ का आयोजन किया गया. यज्ञ के उपरान्त विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल जी ने कहा कि पर्यावरण की रक्षा भारतीय संस्कृति का मूल मंत्र है. भारतीय दर्शन ही तो है जो समस्त विश्व को प्रकृति के भोग व दोहन से बचाकर समुचित उपयोग तथा उसकी संरक्षणवादी सोच की ओर ले जाता है. यही कारण है कि सिर्फ सनातन हिन्दू धर्म में पेड़-पौधों, नदियों-झरनों, सूर्य-चन्द्र, वन-उपवन तथा भूमि-वंदन की महत्ता है. हम प्रकृति प्रदत्त संसाधनों का उपयोग तो करें, किन्तु उसके संवर्धन की ओर भी सतत अग्रसर रहें. हमारी वैदिक परम्परा के अनुसार जब घर-घर में दैनिक यज्ञ तथा हर व्यक्ति का हर वर्ष वृक्ष होगा तो हमारे साथ पर्यावरण भी स्वस्थ होगा.
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता दक्षिणी दिल्ली वेद प्रचार मंडल के प्रधान रविदेव गुप्ता जी ने कहा कि विश्व को ओजोन के विनाशकारी दुष्परिणामों से बचाना है तो वेदों में दी गई दैनिक यज्ञ तथा प्रकृति प्रेम की पद्धति को पुन: अपनाना होगा. क्षेत्र निगम पार्षद राजपाल सिंह ने कहा कि हम अपने जीवन में अनेक वृक्षों का उपयोग करते हैं, किन्तु यदि प्रत्येक व्यक्ति कम से कम एक वृक्ष भी हर साल लगाए तो हम बढ़ती पर्यावरण की समस्या से मुक्ति पा सकते हैं.
दक्षिणी दिल्ली के ईस्ट ऑफ कैलाश स्थित आस्था कुञ्ज पार्क में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिन्दू परिषद तथा आर्य समाज मन्दिर संत नगर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित यज्ञ में वैदिक विदुषी विमलेश आर्या के ब्रह्मत्व में प्रात: न सिर्फ पवित्र वेद मन्त्रों के माध्यम से आहुतियाँ दी गईं, बल्कि दो दिन पूर्व ही कक्षा 10 के परिणामों में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले छात्र अक्षित का सार्वजनिक रूप से सम्मान भी किया गया. लोगों की विशेष मांग पर यह तय किया गया कि माह के हर प्रथम रविवार को प्रात:कालीन वेला में यज्ञ आस्थाकुंज में आयोजित किया जाएगा, जिससे पार्क में आने वाले नर-नारी स्वास्थ्य लाभ के साथ आध्यात्मिक सुख भी प्राप्त कर सकें. कार्यक्रम में अनेक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने यज्ञ में आहूतियां अर्पित कर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया.