नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन सेतु समुद्रम के मुद्दे पर पुरजोर शब्दों में ऐलान किया है कि किसी भी सूरत में राम सेतु (सेतुसमुद्रम) को तोड़ा नहीं जायेगा.
लोकसभा में 14 अगस्त को प्रश्न काल के दौरान केंद्रीय परिवहन मंत्री श्री नितिन गडकरी ने कहा कि मामले पर सरकार का रुख बिल्कुल साफ है. उन्होंने कहा कि मामला अदालत में विचाराधीन है, इसलिये वह ज्यादा नहीं बोलेंगे. लेकिन चार विकल्प सुझाये गये हैं. इन विकल्पों पर सबके साथ चर्चा की जायेगी और उसके बाद शीर्ष न्यायालय में जवाब दिया जायेगा. श्री गडकरी ने अगले मास रामसेतु का दौरा कतरने की भी घोषणा की.
प्रस्तावित सेतुसमुद्रम शिपिंग कैनाल प्रोजेक्ट केंद्र सरकार की परियोजना है, जिसमें इस क्षेत्र को बड़े पोतों के परिवहन योग्य बनाना और साथ ही तटवर्ती इलाकों में मत्स्य और नौवहन बंदरगाह स्थापित करना है.
सेतु समुद्रम परियोजना के जरिये समुद्र में नया रास्ता बनाने की तैयारी थी. इसके लिये पाक बे और मन्नार की खाड़ी के बीच समुद्र में खुदाई कर नया रास्ता बनाया जाना था. इसके लिये रामसेतु को तोड़ा जाता. सेतु समुद्रम के माध्यम से भारत के पूर्वी और पश्चिमी तट को जोड़ने की योजना है. लोकआस्था को ताक पर रखकर संप्रग सरकार समुद्र में अरब सागर जाने के लिये महज 380 किलोमीटर की दूरी के साथ-साथ जहाज के लिये 30 घंटे का समय बचाने के मान पर इस परियोजना पर अड़ी थी. प्रस्तावित सेतुसमुद्रम शिपिंग कैनाल प्रोजेक्ट के अंतर्गत इस क्षेत्र को बड़े पोतों के परिवहन योग्य बनाना और साथ ही तटवर्ती इलाकों में मत्स्य और नौवहन बंदरगाह भी स्थापित करना है.