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पूर्वोत्तर – असम की शिशु शिक्षा समिति ने राहत कोष में 1.5 लाख दिए

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विद्या भारती के विद्यालयों ने दिया राहत कोष में आर्थिक योगदान

असम. देश एकजुटता के साथ कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहा है. इस जंग में समाज का प्रत्येक वर्ग अपनी तरह से योगदान दे रहा है. हालांकि कुछ लोगों की लापरवाही व गैर जिम्मेदाराना रवैये के कारण संक्रमण फैलने का खतरा भी बढ़ रहा है.

विकट घड़ी में जरूरतमंदों की सहायता के लिए प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री ने राहत कोष में योगदान का आह्वान किया है. जिसके पश्चात सरकारी, गैर सरकारी, सामाजिक, धार्मिक संस्थाएं योगदान दे रहे ही  हैं, व जरूरतमंदों की सहायता कर रही हैं.

इसी कड़ी में विद्या भारती ने पहले विद्यालय भवनों को सरकार को देने की घोषणा की थी. आर्थिक योगदान की ओर भी कदम बढ़ा दिया है. वर्ष 1979 से असम के दूर दराज के क्षेत्रों में शिशु शिक्षा समिति असम (विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान से संबद्ध) मातृभाषा में शिक्षा का अलख जगा रही है. समिति ने असम सरकार की आरोग्य निधि में एक लाख एक रुपये की राशि, तथा प्रधानमंत्री केयर्स फंड में पचास हजार एक रुपये की राशि प्रदान की है.

इसके अलावा शिशु शिक्षा समिति असम की उप समिति परीक्षा परिषद की अध्यक्षा एवं असम माध्यमिक शिक्षा परिषद की पूर्व शैक्षिक अधिकारी डॉ. आरती भट्टाचार्य ने व्यक्तिगत तौर पर असम आरोग्य निधि के लिए दो लाख रुपये की राशि दी है. शिशु शिक्षा समिति असम के महामंत्री कुलेन्द्र कुमार भगवती ने इसकी जानतकारी दी.

असम के करीमगंज में समिति द्वारा संचालित सरस्वती विद्या निकेतन द्वारा विज्ञान प्रयोगशाला में 3000 बोतल सेनेटाईजर निर्माण किया गया है. सरस्वती विद्या निकेतन करीमगंज द्वारा 4 गांवों को भी सेनेटाईज किया गया. विद्यालय के आचार्यों (शिक्षकों) ने एक दिन का वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष में प्रदान करने का निर्णय लिया है. विद्यालय ने आपदा राहत दल का गठन किया है जो जरूरतमंद लोगों की मदद कर रहा है.

विद्या भारती शिक्षा समिति त्रिपुरा से संबद्ध अगरतला के त्रिपुरेश्वरी विद्या मंदिर गांधीग्राम ने मुख्यमंत्री राहत कोष में राशि दी है. विद्या भारती शिक्षा समिति त्रिपुरा के अध्यक्ष व विद्यालय प्रबंध समिति के सचिव डॉ. शंकर रॉय ने 50,000 रुपये की राशि दी है.

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