नई दिल्ली. भारत उपग्रहण प्रक्षेपण और अंतरिक्ष गतिविधियों में नित्य नई ऊंचाईयां हासिल कर रहा है. विशेषकर उपग्रह प्रक्षेपण में भारत बड़ा केंद्र बन रहा है. और वाणिज्यिक प्रक्षेपण में कदम आगे बढ़ा रहा है.
रविवार 28 फरवरी को भारत के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) के जरिए 19 उपग्रह अंतरिक्ष में भेजे गए. PSLV-C51 को सुबह 10.24 मिनट पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर (SDSC) से रवाना किया गया. सैटेलाइट्स में चेन्नई की स्पेस किड्ज इंडिया (SKI) का सतीश धवन ST (SD-ST) भी शामिल है. अंतरिक्ष यान के टॉप पैनल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फोटो उकेरी गई है. साथ ही एक एसडी कार्ड में ‘भगवद गीता’ भी भेजी गई है.
ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि प्रधानमंत्री की आत्मनिर्भर भारत पहल और निजी कंपनियों के लिए अंतरिक्ष की राह खोलने वाले निर्णय से एकजुटता दिखाई जा सके.
अभियान में 637 किलो के ब्राजील के उपग्रह अमेजोनिया-1 को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया गया. इसके अलावा 18 अन्य सैटेलाइट्स हैं. वर्ष 2021 में भारत का यह पहला अंतरिक्ष अभियान काफी लंबा रहा, क्योंकि इसकी उड़ान की समय सीमा 1 घंटा 55 मिनट और 7 सेकेंड रही. रविवार सुबह रॉकेट की लॉन्चिंग के साथ ही भारत से लॉन्च किए गए विदेशी सैटेलाइट की कुल संख्या 342 हो गई.
अमेजन क्षेत्र में वनों की कटाई पर नजर रखेगा
ISRO के अनुसार, अमेजोनिया-1 उपग्रह की मदद से अमेजन क्षेत्र में वनों की कटाई और ब्राजील में कृषि क्षेत्र से संबंधित अलग-अलग विश्लेषणों के लिए यूजर्स को रिमोट सेंसिंग डाटा प्रदान कर वर्तमान संरचना को और मजबूत बनाने का काम किया जाएगा.
ISRO के अध्यक्ष के. सिवन ने कहा कि यह भारत और ब्राजील दोनों के लिए गर्व का विषय है. अमेजोनिया-1 को पूरी तरह से ब्राजील के वैज्ञानिकों ने बनाया और विकसित किया था. इसके लिए हम उन्हें बधाई देते हैं.
18 अन्य सैटेलाइट्स में से चार इन-स्पेस से हैं. इनमें से तीन भारतीय शैक्षणिक संस्थानों के संघ यूनिटीसैट्स से हैं, जिनमें श्रीपेरंबदुर में स्थित जेप्पिआर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, नागपुर में स्थित जीएच रायसोनी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग और कोयंबटूर में स्थित श्री शक्ति इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी शामिल हैं. एक का निर्माण सतीश धवन सैटेलाइट स्पेस किड्ज इंडिया द्वारा किया गया है और 14 एनएसआईएल से हैं.