देहरादून (विसंके). हरिद्वार, भारत की प्राच्य विद्यायें संपूर्ण विश्व की शैक्षणिक व्यवस्थाओं की प्रतिनिधि विद्यायें हैं. इनमें भी भारत की पुरातन योग विद्या का प्रभाव विश्वस्तर पर प्रमाणित हो रहा है.
यह कहना है गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.सुरेंद्र कुमार का. वह विवि में आयोजित 15 दिवसीय टीमिंग ओरिएंटेशन कोर्स के उद्घाटन के अवसर पर विचार व्यक्त कर रहे थे. अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों एवं छात्रों ने योग के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उन्होंने कहा कि योग केवल स्वास्थ्य संवर्धन के लिये नहीं है, बल्कि इसके माध्यम से अनंत ऊंचाई को पाया जा सकता है.
कुलसचिव प्रो.विनोद शर्मा ने कहा कि योग की आवश्यकता आज के युग में कंप्यूटर की भांति है. आज पर्यावरण इतना प्रदूषित हो गया है कि उसको सुधारने में योग की महत्ता स्वयं सिद्ध हो रही है. आयुर्विज्ञान एवं स्वास्थ्य संकाय के डीन डॉ.आरसी दुबे ने कहा कि मुनष्य के स्वास्थ्य के लिये योग अन्य सभी जरूरी चीजों जैसा ही है. योग विभागाध्यक्ष एवं संयोजक प्रो.ईश्वर भारद्वाज ने कहा कि योग की व्यापकता बढ़ती जा रही है. ऐसे में इस प्रकार के शैक्षणिक कार्यक्रम अत्यंत महत्वपूर्ण हैं. इस दौरान कार्यक्रम में चीन से आये दस महिलायें दो पुरुष व विभिन्न विभागों के प्राध्यापक मौजूद थे.