मुंबई. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् तथा विद्यार्थी निधि न्यास द्वारा प्रा. यशवंतराव केलकर युवा पुरस्कार 2014 हेतु उत्तर प्रदेश की अंबेडकर नगर निवासी सुश्री अरुणिमा सिन्हा का चयन किया गया. सुश्री अरुणिमा शिंह ने विश्व की प्रथम महिला हैं जिन्होंने कृत्रिम पैर के साथ एवरेस्ट पर विजय प्राप्त की है. यह चयन कृत्रिम पैर के साथ दुनिया की सबसे ऊंची चोटी को जीतने की उल्लेखनीय ऐतिहासिक उपलब्धि, सभी बाधाओं के खिलाफ लड़ने की उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति तथा सामाजिक कार्य हेतु समर्पित होकर कार्य करने के लिये किया गया है. दुनियाभर में युवाओं को प्रेरणा देने हेतु अरुणिमा सिन्हा प्रमुख स्त्रोत के रूप में उभरी है. विभिन्न समाजपयोगी काम करने वाले युवा सामाजिक कार्यकर्ताओं के कार्य को प्रोत्साहन देने हेतु समाज के सम्मुख लाना और ऐसे युवाओं के प्रति समुचे युवा वर्ग की कृतज्ञता प्रकट करना एवं अन्य युवाओं में ऐसे काम करने की प्रेरणा उत्पन्न करना यह इस युवा पुरस्कार का प्रायोजन है. इस पुरस्कार में नगद राशि रु. 50,000/- प्रमाण-पत्र एवं स्मृतिचिन्ह समाविष्ट है.
पूर्व राष्ट्रीय वालीबाल और फुलबॉल खिलाड़ी सुश्री अरुणिमा सिन्हा को पद्मावत एक्सप्रेस के जनरल कोच से बाहर धकेल दिया गया, जब वे अपने बैग और सोने की चेन को चोरों द्वारा छिने जाने का तीव्र विरोध कर रही थी. उसी समय पास से गुजर रही दूसरी ट्रेन से उनके बायाँ पैर घुटने के नीचे से बुरी तरह कुचला गया. अस्पताल में ईलाज के दौरान उनके जीवन को बचाने के लिये डॉक्टरों द्वारा उनका पैर काटना पड़ा. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में चार माह तक ईलाज होने के समय उनको स्वयं कुछ भी कर पाना संभव नहीं था. उसके बाद आगे का जीवन उनके लिये बहुत मुश्किल था, लेकिन बहादुर व मजबूत इरादों की धनी अरुणिमा ने पूरे जोश के साथ खड़ी होकर जीवन में कुछ करने का लक्ष्य लिया. जिसके तहत उन्होंने एवरेस्ट शिखर फतह करने का संकल्प किया.
यह पुरस्कार प्रा. यशवंत केलकर, जिन्होंने दुनिया के सबसे बड़े छात्र संगठन अभाविप को खड़ा करने तथा उसका विस्तार करने में मील के पत्थर का योगदान दिया, उनकी स्मृति में दिया जाता है. 1991 से प्रतिवर्ष यह पुरस्कार दिया जा रहा है. बाकी तो अब सब इतिहास है ही, जिसे हम सभी जानते हैं.
उन्होंने बुनियादी पर्वतारोहण कोर्स में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और एवरेस्ट शिखर पर्वत फतह करने वाली पहली भारतीय महिला बछेंद्री पाल से प्रशिक्षण और मार्गदर्शन लिया. आधार शिविर से शिखर तक 52 दिन की कूल चढ़ाई में सबसे कठिन अंतिम 17 घंटे की निरंतर चढ़ाई परिश्रमपूर्वक पूर्ण करते हुये 21 मई 2013 को अरुणिमा सिन्हा एवरेस्ट शिखर पर पहुंची और इतिहास रच डाला. अरुणिमा वर्तमान में विभिन्न खेलों में गरीब और विशेष रूप से विकलांग व्यक्तियों के लिये निःशुल्क प्रशिक्षण और मार्गदर्शन देने हेतू पंडित चंद्रशेखर आजाद विकलांग खेल अकादमी का संचालन कर रही है तथा सामाजिक कार्य के लिये समर्पित है.
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के 14-16 नवंबर 2014 तक अमृतसर (पंजाब) में आयोजित होने वाले 60वें राष्ट्रीय अधिवेशन में 16 नवंबर 2014 को एक विशेष कार्यक्रम में सुश्री अरुणिमा सिन्हा को 2014 का प्रा. यशवंतराव केलकर युवा पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया जायेगा.