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विश्व पर्यावरण दिवस – स्वयंसेवकों ने एक साल तक वृक्ष की चिंता की

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चित्र में दिख रहे इस पीपल के पेड़ की कहानी बड़ी रोचक और समाज को प्रेरणा देने वाली है.

सामान्य तौर पर देखा जाता है कि जब हम नया मकान बनाते हैं तो उस प्लॉट पर कोई भी पेड़ होता है, उसे काट कर हटा दिया जाता है. शायद, इस पेड़ के साथ में भी ऐसा ही होता, कहीं अन्यत्र होता.

यह पेड़ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उज्जैन कार्यालय आराधना में था. उज्जैन कार्यालय (आराधना) के नवनिर्माण हेतु पुराने भवन को हटाकर नए कार्यालय की रचना करने की बात कार्यकर्ताओं के मन में आई, लेकिन इसी परिसर में एक बहुत बड़ा पीपल का वृक्ष था. जिसे हटाए बिना योजनानुसार भवन निमाण नहीं हो सकता था.

कार्यकर्ताओं ने बहुत चिंतन किया और पेड़ को हटाकर दूसरी जगह पर लगाने की विधियों पर विमर्श हुआ. आखिर में कार्यकर्ताओं की मेहनत रंग लाई और ट्री ड्राफ्टिंग तकनीक का प्रयोग किया. सरदारपुरा, उज्जैन में स्थित कार्यालय परिसर से निकालकर पेड़ को शिप्रा नदी के किनारे ओखलेश्वर परिसर में स्थापित किया.

सिर्फ उसे वहां स्थापित ही नहीं किया, बल्कि लगभग 1 वर्ष तक लगातार पेड़ की सेवा-सुश्रुषा भी करते रहे. उसी का परिणाम है कि यह दूर से ठूंस जैसा दिखने वाला पेड़ अब फिर से हरा भरा हो गया है और कुछ ही वर्षों में पूर्ववत अपनी लंबी और घनी शाखाओं को फैलाकर पक्षियों का स्वागत करेगा. अपनी छांव से राहगीरों को ठंडक प्रदान करेगा.

यह चित्र स्वयंसेवकों सहित समाज को एक दिशा देने का कार्य करेगा.

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