लोकेन्द्र सिंह
एक वर्ष पूर्व पौष शुक्ल द्वादशी (22 जनवरी, 2024) को भारतवासियों ने त्रेतायुग के बाद पुनः अपने आराध्य भगवान श्रीराम के स्वागत में घर-घर दीप जलाए थे। श्री राम जन्मभूमि में बने भव्य मंदिर में जब श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई, तो प्रत्येक रामभक्त की आँखों से नेह की धारा बह रही थी। आखिर रामभक्त भाव-विभोर हों भी क्यों नहीं, लगभग 500 वर्षों की प्रतीक्षा एवं संघर्ष के बाद जन्मभूमि में उल्लासपूर्वक श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा हुई। यह दिन भारत के लिए अविस्मरणीय है। प्रत्येक भारतवासी का मन था कि श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा को उत्सव की परंपरा में शामिल कर दिया जाए। जैसे रावण का वध करके प्रभु श्रीराम के अयोध्या लौटने की घटना को हमने दीपोत्सव के रूप में त्रेतायुग से आज तक अपनी स्मृति में संजोकर रखा है, उसी तरह श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के उत्सव को भी ‘दीपावली’ की भाँति ही मनाया जाए। पौष शुक्ल द्वादशी को प्रत्येक हिन्दू घर रोशन हो और देहरी-मुडेर पर दीपों की मालिका जगमगाए।
पिछले वर्ष मन में विचार आया था कि पौष शुक्ल द्वादशी को हम ‘राम दीपावली’ के रूप में प्रतिवर्ष मनाएं। कैलेंडर पर 22 जनवरी के साथ त्योहार का उल्लेख न देखकर बिटिया ने पूछा था कि – “हमने कल जो त्योहार मनाया, दीप जलाए, रोशनी की। यहां उसके बारे में कहां लिखा है?” तब मैंने हर्षित मन से उसे बताया कि – “अब जो कैलेंडर छपकर आएंगे, उन पर लिखा होगा ‘राम दीपावली’। और हाँ, उसे भी हमें 22 जनवरी को नहीं, पौष मास की शुक्ल द्वादशी को ही इसी उत्साह से मानना है”। हम अपने सभी त्यौहार हिन्दू पंचाग के अनुसार ही तो मनाते हैं। मन की यह कामना ईश्वर की कृपा से पूरी हो रही है।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री चंपत राय ने भी स्पष्ट किया है कि हिन्दू कैलेंडर के अनुसार श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा पौष शुक्ल द्वादशी (22 जनवरी 2024) को हुई थी। इसलिए उसकी वर्षगाँठ हिन्दू कैलेंडर के अनुसार ही पौष शुक्ल द्वादशी को मनायी जाएगी। 2025 में यह तिथि कैलेंडर के अनुसार 11 जनवरी को है।
अयोध्या में भव्य उत्सव की तैयारी
यह भी हर्ष की बात है कि करोड़ों रामभक्तों के हृदय की पुकार श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र तक पहुँची। निश्चित ही यह भी राम की कोई लीला रही होगी। न्यास ने निर्णय लिया है कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ को ‘प्राण-प्रतिष्ठा द्वादशी महोत्सव’ के नाम से भव्य रूप में मनाया जाएगा। राम मंदिर में 11 जनवरी से शुरू होने वाला यह महोत्सव तीन दिन तक चलेगा। न्यास के महामंत्री चंपत राय ने तीन दिवसीय महोत्सव के विविध कार्यक्रमों एवं अनुष्ठानों की विस्तृत जानकारी साझा की है। प्राण-प्रतिष्ठा के कार्यक्रम 5 स्थलों पर चलेंगे। कार्यक्रम में उन संत-महात्माओं और गृहस्थों को आमंत्रित किया जा रहा है, जिन्हें प्राण-प्रतिष्ठा में नहीं बुलाया जा सका था। इसका दायित्व अखिल भारतीय धर्माचार्य संपर्क प्रमुख अशोक तिवारी को सौंपा गया है।
देश के ख्याति प्राप्त भजन गायक रामलला की स्तुति करेंगे। 11 से 13 जनवरी तक एक बार फिर से अयोध्या को धार्मिक अनुष्ठानों, वैदिक मंत्रों, भजन कीर्तन और हनुमान चालीसा के पाठ से शोधित किया जाएगा। 11 जनवरी को पौष शुक्ल द्वादशी के दिन श्री रामलला का विशेष अभिषेक और आरती की जाएगी। यह पूजा दोपहर 12:20 बजे होगी, जो श्रीरामलला की प्रतिष्ठा के समय के अनुरूप है।
हमें अपने घर पर क्या कर सकते हैं
‘प्राण-प्रतिष्ठा द्वादशी महोत्सव’ के अवसर पर सब तो अयोध्या धाम नहीं जा पाएंगे। ऐसे में हम कैसे अपने आराध्य भगवान श्रीराम का स्वागत कर सकते हैं?
- जैसे दीपावली पर अपने घरों को सजाते हैं, वैसे ही 11 जनवरी को हमें अपने घरों को रोशन करना है।
- दरवाजे-आंगन में रंगोली सजानी है।
- रसोईघर में पकवान पकने चाहिए। प्रसाद बने।
- शाम को भगवान श्रीराम की आरती या रामरक्षा स्रोत का पाठ कर सकते हैं।
- दीपक जलाकर प्रभु श्रीराम का स्वागत कर सकते हैं।
- एक-दूसरे को नयी दीपावली की शुभकामनाएं एवं बधाइयां दे सकते हैं।
ऐसा लगे कि भारत में एक बार फिर से दीपावली मनायी जा रही है। यह उत्सव हमें 500 वर्षों के पुरुषार्थ और सौभाग्य से मिला है। इसलिए इस उत्सव को आनंद के साथ मनाने की एक परंपरा शुरू होनी चाहिए।