हवलदार बलदेव सिंह, एक ऐसा वीर सिपाही जो महज 16 वर्ष की आयु में ब्रिगेडियर उस्मान के नेतृत्व में भारतीय सेना में एक इनफॉर्मर के रूप में शामिल हुआ। 1947 में जब पाकिस्तानी सेना ने जम्मू कश्मीर पर हमला किया, तो उन्होंने झांगर की तरफ बढ़ते दुश्मनों की जानकारी सेना तक पहुंचा कर युद्ध को निर्णायक मोड़ पर पहुंचाने में मदद की। पाकिस्तान की शर्मनाक हार और युद्ध की समाप्ति के बाद वर्ष 1950 मां भारती का यह वीर सपूत बतौर हवलदार भारतीय सेना में शामिल हुआ और लगातार तीन दशक तक भारत माँ की सेवा में लगा रहा। भारतीय सेना के इस पूर्व सैनिक हवलदार बलदेव सिंह का सोमवार (06 जनवरी) को गृह नगर राजौरी में 93 वर्ष की आयु में निधन हो गया। बलदेव सिंह पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे।
हवलदार बलदेव सिंह का जन्म 27 सितंबर, 1931 को जम्मू कश्मीर के नौशेरा के नौनिहाल गांव में हुआ था। बचपन से देश भक्ति का जज्बा ऐसा था कि वे महज 16 साल की आयु में, ब्रिगेडियर उस्मान की अगुवाई में “बाल सेना” में शामिल हो गए। 1947-48 के नौशेरा और झांगर की लड़ाई के दौरान, बाल सेना के लड़कों ने भारतीय सेना के लिए महत्वपूर्ण समय पर संदेशवाहक (messenger) के रूप में काम किया था। उनके इस योगदान के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें ग्रामोफोन, घड़ियां और भारतीय सेना में शामिल होने का मौका दिया था।
बलदेव सिंह 14 नवंबर, 1950 को सेना में भर्ती हुए। उन्होंने करीब 3 दशक तक देश की सेवा की और 1961-1962 भारत-चीन युद्ध और फिर 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में हिस्सा लिया। 1969 में जब सेवानिवृत हुए तो उसके कुछ ही वर्षों बाद ही 1971 में भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ गया। बलदेव सिंह को सेवानिवृत होने के बाद भी 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में फिर से बुलाया गया। इस दौरान उन्होंने 11वीं जाट बटालियन (25 इन्फैंट्री डिवीजन) के साथ 8 महीने तक देश सेवा की।
अपने पूरे जीवन काल में जिस तरह से बलदेव सिंह ने देश की सेवा की, उनकी इस बहादुरी व योगदान के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, सहित देश के कई बड़े नेताओं की ओर से सम्मानित किया गया। देश के प्रति सच्ची निष्ठा, बहादुरी और वीरता के कारण आज हवलदार बलदेव सिंह इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में सदैव के लिए अंकित हो गए।
कोटिशः नमन…
गृह नगर नौशेरा में हवलदार बलदेव सिंह का सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। बलदेव सिंह जैसे वीर और समर्पित सैनिक न केवल हमारी यादों में, बल्कि हमारे दिलों में भी हमेशा अमर रहेंगे। उनका साहस, देशभक्ति और बलिदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बनेगा। उनके निधन पर आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं।