पाली। राष्ट्र सेविका समिति की अखिल भारतीय प्रमुख कार्यवाहिका सीता गायत्री अन्नदानम् का संगठनात्मक प्रवास जोधपुर प्रान्त में चल रहा है। पाली विभाग में प्रवास के अन्तर्गत पथ संचलन का आयोजन किया गया। पथ संचलन में राष्ट्र सेविका समिति की 421 सेविकाओं ने भाग लिया। इसमें 10 वर्ष से लेकर 60 वर्ष आयु वर्ग की सेविकाएं उपस्थित रहीं। पाली के नागरिकों ने स्वागत द्वार बनाकर पथ संचलन का स्थान-स्थान पर पुष्प वर्षा कर स्वागत किया।
पाली विभाग कार्यवाहिका अंजना सर्राफ ने बताया कि शीतलहर के बावजूद मातृशक्ति व सेविका बहनें गत एक माह से संचलन की तैयारी कर रही थीं। इस निमित्त संचलन मार्ग, घोष की पूर्व तैयारी की गई थी।
संचलन कार्यक्रम में सीए शानू जी पारख अध्यक्षा के रूप में उपस्थित रहीं। उन्होंने कहा कि महिलाएं राष्ट्र की सेवा के लिए योग्य बन रही हैं। उन्हें आत्मनिर्भर भी बनना है। आत्मनिर्भर बनने के लिए उन्हें केवल पढ़ाई पर निर्भर नहीं रहना है, पढ़ाई नहीं कर पाए तो कंप्यूटर, ब्यूटी पार्लर, सिलाई-बुनाई ऐसे कई कार्य हैं जिनसे वह आर्थिक रूप से मजबूत बन सकती हैं।
सेविकाओं को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय प्रमुख कार्यवाहिका अन्नदानम सीता गायत्री ने कहा कि पथ संचलन भी हमें जीवन की एक सीख देता है। हम निश्चित मार्ग पर चलते हैं, चलते समय हम अपना पूरा संतुलन रखते हुए किसी भी प्रकार के प्रलोभन से भी बचते हैं। इसका भी एक अपना आनंद होता है और समाज को भी अपनी शक्ति का दर्शन होता है।
उन्होंने कहा कि पहले जब युद्ध होते थे, तो युद्ध के बाद सैनिकों का मार्च पास्ट नगर में से निकलता था। जिससे जनता को गर्व महसूस होता था और उनका विश्वास भी बढ़ता था कि हम सुरक्षित हैं। ऐसे ही यह अपनी मातृशक्ति का मार्च पास्ट है, जिसे हम पथ संचलन कहते हैं। वर्तमान में भारत के 1020 जिलों में से 850 जिलों तक समिति कार्य फैला हुआ है। उन्होंने कहा कि सीता, सावित्री, दमयंती यह पुराण काल में ही नहीं, अब भी कई रूपों में अपने मध्य हैं। भारत की महिलाएं इसका प्रत्यक्ष प्रमाण हैं।
प्रमुख कार्यवाहिका ने कश्मीर का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि गोलीबारी के बीच में भी वहां की महिलाएं मंदिर में भजन करती हैं। यह उनका ईश्वर पर और अपने आप पर विश्वास है, तभी वह विपरीत परिस्थितियों में भी नहीं घबराती। हमें पूरा विश्वास है के भारत पुन: विश्व गुरु के पद पर बैठेगा।