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कला के मर्म को समझाने के लिए गुरु की आवश्यकता होती है – अभिजीत गोखले

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नई दिल्ली. गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर सांस्कृतिक कला केंद्र संस्कार भारती ‘कला संकुल’ में गुरु पूजन कार्यक्रम का आयोजन किया गया. संस्कार भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री अभिजीत गोखले, संस्कार भारती के दिल्ली प्रान्त अध्यक्ष प्रभात कुमार, बिहार दरभंगा से राज्यसभा सांसद एवं महिला मोर्चा अध्यक्ष धर्मशीला गुप्ता, संस्कार भारती के अखिल भारतीय सह कोषाध्यक्ष सुबोध शर्मा, कलाकार अवतार साहनी सहित गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति रही.

अभिजीत गोखले ने नटराज पूजन कर गुरु पूजन के अर्थ की व्याख्या करते हुए कहा कि कठोर परिश्रम, शुद्ध आचरण और समर्पण भाव, तीन ऐसे घटक जो गुरु शिष्य परंपरा के लिए सर्वोपरि हैं. जिसके माध्यम से शक्ति, शील एवं ज्ञान अर्जित होता है. कला के मर्म को समझाने के लिए गुरु की आवश्यकता होती है. विशेष रूप से कला के क्षेत्र में सभी विधाओं में गुरु शिष्य परंपरा को अधिक प्रसार करने की आवश्यकता है, कलासाधक निरंतर सक्रिय रहे इसके लिए गुरु का मार्गदर्शन सर्वोपरि है क्योंकि साधना की आदत लगाने का काम गुरु का ही है.

नटराज पूजन की महत्ता पर अभिजीत गोखले ने कहा कि साधना से सृजन तक की यात्रा को तय करना ही गुरु पूजन के वास्तविक अर्थ को चरितार्थ करता है. उन्होंने कार्यक्रम में कार्यकर्ता और प्रशिक्षकों को न केवल गुरु पूजन के लाभ बताए, वरन कई सफल उदाहरण भी दिए. उन्होंने बताया कि किस प्रकार साधना के दौरान समर्पण भाव और काम करने की अदम्य इच्छाशक्ति भी मायने रखती है. उन्होंने गुरु पूजन के अवसर पर सभी को शुभकामनाएं दीं व भावी भविष्य के लिए सभी उपस्थित कार्यकर्ताओं से कठिन परिश्रम करने के लिए भी कहा.

 

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