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वंचित, अभावग्रस्त, उपेक्षित की सेवा के लिए स्वयंसेवक सदैव अग्रिम पंक्ति में रहता है

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राष्ट्रीय सेवा भारती द्वारा सेवा भारती प्रांतीय प्रतिनिधि संस्थाओं के अध्यक्ष, मंत्री, संगठन मंत्री एवं प्रशिक्षण प्रमुख के साथ दो दिवसीय बैठक का आयोजन राजस्थान के चूरू जिले में ऐतिहासिक स्थान ताल छापर में 29, 30 जून को किया गया. बैठक में संपूर्ण भारत में सेवा भारती द्वारा किए जा रहे सेवा कार्यों की गुणवत्ता एवं सभी सेवा बस्तियों तक पहुंच के निमित्त विषय प्रमुखों ने पीपीटी के माध्यम से योजना एवं वृत प्रस्तुत किया. बैठक में विषय प्रमुखों ने पिछले वर्ष का वृत्त एवं गुणवत्ता पूर्ण कार्य योजना छात्रावास, प्रशिक्षण, अध्ययन, सीएसआर, स्वावलंबन, वैभवश्री, सेवा दिशा वृत्त विश्लेषण, प्रचार, आपदा प्रबंधन, कार्यालय, सुपोषित भारत, किशोरी विकास, सेवा में महिला कार्य एवं कार्यकर्ता विकास योजना पर चर्चा एवं योजना प्रस्तुत की.

संपूर्ण भारत से चुने 12 सेवा कार्यों का विशेष वृत्त प्रांत के पदाधिकारियों ने प्रस्तुत किया. इन परिणामकारी प्रकल्पों से प्रेरणा लेकर अन्य प्रांतों ने योजना पर चर्चा की. कुछ सत्रों में श्रेणी अनुसार सेवा कार्यों की चर्चा की गई.

सेवा के परम धर्म पर राष्ट्रीय सेवा भारती के संगठन मंत्री सुधीर कुमार ने कहा कि सेवा हमारे समाज के मूल में है. परिवार में मां बचपन से ही बालकों को समाज की सेवा का प्रशिक्षण देकर जिम्मेदारी का ज्ञान कराती है. उन्होंने सेवा के विमर्श एवं टोली विकास के विषय पर चर्चा कर सेवित को सेवक बनाने की यात्रा पर निकले अनेकों कार्यकर्ताओं के प्रयासों को सत्र में रखा.

दो दिवसीय अखिल भारतीय बैठक के समापन पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सेवा प्रमुख पराग जी अभयंकर ने संघ के स्थापना के शताब्दी वर्ष पूर्ण करने पर सभी सेवा बस्तियों एवं 5000 से अधिक जनसंख्या के गांव में वंचित, उपेक्षित, अभावग्रस्त एवं पीड़ित जन की सेवा के लिए शिक्षा, स्वावलंबन, स्वास्थ्य एवं सामाजिक आयामों सहित पहुंचने के लिए योजना तैयार कर सेवा कार्य विस्तार एवं दृढ़ीकरण करने के लिए कार्यकर्ताओं को सम्बोधित किया. नर सेवा नारायण सेवा के मूल मंत्र के साथ कहा कि बस्ती में अगर कोई वंचित है, उपेक्षित है, अभावग्रस्त है या पीड़ित है तो स्वयंसेवक सदैव सेवा के लिए अग्रिम पंक्ति में उपस्थित रहता है.

राष्ट्रीय सेवा भारती 1000 से अधिक सम्बद्ध संस्थाओं का संगठन है. संपूर्ण भारत वर्ष में 30829 नियमित सेवा कार्य संचालित किए जा रहे हैं.

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