नई दिल्ली. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति – 2020 के क्रियान्वयन हेतु विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष डीपी सिंह को अपने सुझाव सौपे. शिक्षा के क्षेत्र में विभिन्न हितधारकों से व्यापक चर्चा के बाद समग्र शिक्षा, संस्थागत अनुसंधान, भारतीय ज्ञान पद्धति का प्रसार तथा एकीकृत उच्च शिक्षा इत्यादि विषयों पर मिले सुझावों को सौंपा है. ज्ञापन में प्रमुखता से रखे गए सुझाव शिक्षा के क्षेत्र में समानता, उच्च शिक्षा में सर्वसमावेशी प्रारूप तथा भारत को वैश्विक शिक्षा के अग्रणी केंद्र के रूप में स्थापित करने की ओर केंद्रित हैं.
अभाविप ने आईआईटी पाठ्यक्रम के पुनरीक्षण, अन्तर्विषयी अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करते हुए स्नातक स्तर पर मानविकी और STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) के एकीकरण की अनुशंसा की है. शोध संस्थानों के रूप में चुनिंदा सार्वजनिक और निजी विश्वविद्यालयों की पहचान कर यूनिवर्सिटी रिसर्च फंड के रूप में अनिवार्य रूप से इन-हाउस कॉरपस फंड होना चाहिए, जिसका उपयोग राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत नेशनल रिसर्च फाउंडेशन के मार्गदर्शन के साथ नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया जाना है.
समावेशी उच्च शिक्षा के लिए, अभाविप ने जनजातीय, पिछड़े तथा दिव्यांग छात्रों के लिए, जिन्हें राष्ट्रीय शिक्षा नीति में सामूहिक रूप से सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित समूहों के रूप में वर्णित किया गया है, विशेष कार्यक्रमों की संस्था के लिए शिक्षा मंत्रालय, जनजातीय और सामाजिक कल्याण मंत्रालय के बीच अधिक से अधिक सहयोग की अनुशंसा की है. प्रत्येक जिले में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों के साथ-साथ जेंडर इंक्लूजन फंड का उपयोग ग्रामीण क्षेत्रों में महिला और परलैंगिक छात्रों के लिए परिवहन और स्वास्थ्य सुविधाओं का विकास एबीवीपी की प्रमुख सुझावों में से एक रहा है.
शोध में उत्कृष्टता के लिए ‘अर्ली करियर अवार्ड’ का परिचय, अस्थायी, तदर्थ और संविदा शिक्षकों की नियुक्तियों को स्थायी में परिवर्तित करना, भारत में कैम्पस स्थापित करने के लिए शीर्ष 100 वैश्विक शिक्षण संस्थानों को आमंत्रित करने के साथ-साथ अग्रणी भारतीय शैक्षणिक संस्थानों को विदेश में परिसर स्थापित करने का आह्वान करने के लिए भी विद्यार्थी परिषद ने प्रस्ताव रखा है. विशिष्ट भारतीय सांस्कृतिक परंपराओं, व्यंजनों एवं वस्त्रों पर अध्ययन करने के लिए संपन्न अध्येतावृत्ति के साथ साथ राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय परोपकारी पहलों द्वारा समर्थित दायित्वों की स्थापना, Indology Research Foundation की स्थापना एवं भारतीय तत्वज्ञान, भारतीय विज्ञान एवं योग, आयुर्वेद जैसे भारतीय ज्ञान प्रणालियों का अध्ययन करने का प्रस्ताव भी विद्यार्थी परिषद ने प्रस्तुत किया है.
अभाविप की राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी ने कहा कि, “राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 अपने आप में एक बहुत व्यापक दस्तावेज है और बहु-आयामी चुनौतियों को संतोषजनक तरीके से संबोधित करने में सक्षम है, जो क्षेत्र में सभी हितधारकों के साथ हमारी व्यापक बातचीत पर आधारित है. परंतु फिर भी हमने अतिरिक्त सुझावों के लिए विशेषज्ञ समूहों को नियुक्त करने की आवश्यकता महसूस की जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन को अधिक प्रभावशाली बनाने में उपयोगी हो सकते हैं. हमें आशा है कि सुझावों को भारत के विद्यार्थी समुदाय के सर्वोत्तम हितों के लिए शामिल किया जाएगा और उन्हें लागू किया जाएगा.”