नई दिल्ली. कोरोना की दूसरी लहर के बीच भारतीय वायुसेना (IAF) ने मेडिकल ऑक्सीजन, दवाइयां, चिकित्सकीय सामग्री पहुंचाने का काम बिना थके जारी रखा है. इस बड़े अभियान के बीच वायुसेना ने पाकिस्तान और चीन की सीमा पर तैनात जवानों का सहयोग भी तन्मयता के साथ जारी रखा. पिछले साल अप्रैल-मई से ही चीन से लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा और पूर्वी लद्दाख के इलाकों में जवानों की बड़े स्तर पर तैनाती है. वहीं, कोरोना के खिलाफ जंग में भी वायुसेना ने अहम भूमिका निभाई है.
C-17 ग्लोबमास्टर एयरक्राफ्ट बेहद क्षमतावान
ग्रुप कैप्टन मनीष कुमार ने बताया कि C-17 विमान युद्धक टैंक को एयरलिफ्ट करने में सक्षम है. हम ये पक्का कर रह हैं कि दिन रात चल रहे कोविड संबंधी ऑपरेशन के अलावा सीमाओं पर जवानों को भी पूरा सहयोग मिलता रहे. मनीष कुमार 81 स्क्वाड्रन की C-17 विमानों को ऑपरेट करने वाली ऑपरेशन प्लानिंग टीम का हिस्सा हैं.
81 स्क्वाड्रन के कमांडिंग ऑफिसर पी सिसोदिया का कहना है कि ये एयरक्राफ्ट बेहद क्षमतावान है और सभी तरह के ऑपरेशन में अपनी उपयोगिता साबित की है. चाहे वो टैंक या फिर युद्धक सामग्री पहुंचाने का कम हो या फिर ऑक्सीजन टैंकर पहुंचाने का. सभी टास्क में सी-17 ग्लोबमास्टर ने अपनी उपयोगिता सिद्ध की है.
कोरोना ऑपरेशन्स के दौरान स्क्वाड्रन के सदस्यों की सुरक्षा पर बताया कि क्रू मेंबर एयर बबल में ऑपरेट करते हैं. पायलटों को तीन टीम में विभाजित किया गया है. इन टीमों को कोविड राहत, तूफान राहत कार्य, चीन-पाकिस्तान सीमा से जुड़े टास्क में लगाया गया है.
वायुसेना के सी-17 ग्लोबमास्टर सहित सी-130 जे सुपर-हरक्युलिस, आईएल-76, एएन-32 जैसे मालवाहक विमानों को मिशन में लगाया गया है.
महामारी के दौरान करीब 16 मित्र-देशों से अब तक वायुसेना के अलग-अलग विमान 160 ऑक्सीजन कंटेनर ला चुके हैं. इन देशों में जर्मनी, फ्रांस, बेल्जियम, इंग्लैंड, नीदरलैंड, इजरायल, इंडोनेशिया, थाईलैंड, सिंगापुर, यूएई, कुवैत, कतर और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं.
1500 से अधिक उड़ानें
भारतीय वायुसेना ने कोरोना ऑपरेशन के दौरान 1500 से अधिक उड़ानें, 3000 घंटे और 800 ऑक्सीजन कंटेनर, 13500 मैट्रिक टन ऑक्सीजन, लेकर 10 लाख नॉटिकल मील का सफर तय किया है. इसे यूं आसानी से समझ सकते हैं कि भारतीय वायुसेना द्वारा तय की गई दूरी पृथ्वी के 55 बार चक्कर लगाने के बराबर है. ये आंकड़े इस बात का प्रमाण हैं कि भारतीय वायुसेना पिछले डेढ़ महीने में कोविड-19 से जुड़े सामान को देश में पहुंचाने में सक्रिय है.