अलीगढ़. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर दोगला रवैया, या असहिष्णुता कहें….अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पीएचडी स्कॉलर को प्रधानमंत्री की प्रशंसा करना महंगा पड़ा. प्रधानमंत्री की प्रशंसा करने पर यूनिवर्सिटी ने स्कॉलर से डिग्री वापिस मांगी है. दानिश रहीम नाम के छात्र ने आरोप लगाया कि उसे जो डिग्री दी गई थी, वह वापस मांगी जा रही है. उसने प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है.
दानिश ने कहा कि पीएचडी की डिग्री 9 मार्च, 2021 को अवॉर्ड हुई. उसकी साथी मारिया नईम को नवंबर 2020 में पीएचडी अवॉर्ड हो गई थी. पीएचडी मिलने के छह महीने गुजर जाने के बाद 4 अगस्त, 2021 को पत्र मिला कि जो डिग्री हम दोनों को दी गई है, वह गलत है.
दानिश ने कहा कि वह परेशान हो गए. बाद में उन्हें याद आया कि 22 दिसंबर, 2020 को उन्होंने देश के प्रधानमंत्री की प्रशंसा की थी. ‘देश के प्रधानमंत्री ने एएमयू को एक कार्यक्रम में संबोधित किया था. मैंने उनकी तारीफ की थी. मीडिया में मेरा इंटरव्यू भी चला था.’
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, डॉ. दानिश ने कहा कि ‘पीएम की प्रशंसा करने के बाद से ही मेरे साथ एएमयू में गलत व्यवहार शुरू हो गया था. 8 फरवरी को मेरा वायवा था. दो-तीन दिन पहले मुझे चेयरमैन ने बुलाया था. उन्होंने कहा कि तुम एक छात्र हो. तुम्हें किसी भी राजनीति पार्टी के बारे में इस तरह से खुलकर नहीं बोलना चाहिए था. तुम ऐसे बोल रहे थे जैसे राइट विंग के आदमी हो.’
दानिश ने कहा कि उन्होंने चेयरमैन की बात का कोई जवाब नहीं दिया. बाद में उन्हें डिग्री मिली. लेकिन अब कहा जा रहा है कि वह गलत है. एएमयू के लेटर का जवाब दिया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. मजबूर होकर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
रिपोर्ट्स के अनुसार, एएमयू के प्रवक्ता ने कहा कि आरोप पूरी तरह निराधार हैं. छात्र ने भाषा विज्ञान विभाग के एलएएम (विज्ञापन और विपणन की भाषा) पाठ्यक्रम में एमए और पीएचडी किया, जो भाषा विज्ञान में पीएचडी की डिग्री भी प्रदान करता है. चूंकि उन्होंने एलएएम में एमए किया है, इसलिए उन्हें एलएएम में पीएचडी की डिग्री मिलनी चाहिए. गलती से छात्र को भाषा विज्ञान में पीएचडी की डिग्री दे दी गई, इसलिए डिग्री बदलने को कहा गया है.