आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में आज सुबह 6 बजकर 23 मिनट पर एनवीएस-02 को ले जाने वाले जीएसएलवी-एफ15 को सफलतापूर्वक लॉन्च करने के साथ ही इसरो ने बड़ी उपलब्धि हासिल की। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने ऐतिहासिक 100वां सफल प्रक्षेपण किया।
एनवीएस-02 उपग्रह को इसरो वैज्ञानिकों ने विकसित किया है। यह स्वदेशी नेविगेशन उपग्रह प्रणाली है। इसका वजन 2,250 किलोग्राम है। यह नई पीढ़ी के नेविगेशन उपग्रहों में से दूसरा है। इसरो प्रमुख के रूप में कार्यभार संभालने वाले वी. नारायणन के लिए यह पहला प्रक्षेपण रहा। उन्होंने व्यक्तिगत रूप से प्रक्षेपण की निगरानी की। यह उपग्रह प्रक्षेपण भौगोलिक, हवाई और समुद्री नेविगेशन सेवाओं के लिए उपयोगी होगा। कृषि में प्रौद्योगिकी, विमान प्रबंधन, मोबाइल उपकरणों में स्थान-आधारित सेवाएं उपलब्ध करवाने सहयोग देगा।
इसरो प्रमुख ने सफलता के लिए इसरो वैज्ञानिकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि इस साल किया गया पहला प्रयोग सफल रहा। एनवीएस-02 उपग्रह दस साल तक सेवा में रहेगा। विक्रम साराभाई के समय से ही इसरो नए कीर्तिमान बना रहा है। अब तक हमने लॉन्च वाहनों की छह पीढ़ियां विकसित की हैं। पहला प्रक्षेपण यान 1979 में डॉ. अब्दुल कलाम के नेतृत्व में लॉन्च किया गया था। श्रीहरिकोटा में अब तक 100 प्रयोग किए जा चुके हैं। हमने 100 प्रक्षेपण में 548 उपग्रह प्रक्षेपित किए। इसरो ने 3 चंद्रयान, मास ऑर्बिटर, आदित्य और एसआरई मिशन शुरू किए हैं।
https://x.com/isro/status/1884415110900588667
छोटी सी शुरुआत की अद्भुत यात्रा
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए बधाई दी। एक्स हैंडल पर लिखा, – “100वां प्रक्षेपण: श्रीहरिकोटा से 100वें प्रक्षेपण की ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करने के लिए इसरो को बधाई। इस रिकॉर्ड उपलब्धि के ऐतिहासिक क्षण में अंतरिक्ष विभाग से जुड़ना सौभाग्य की बात है। टीम इसरो आपने एक बार फिर जीएसएलवी-एफ15 / एनवीएस-02 मिशन के सफल प्रक्षेपण से भारत को गौरवान्वित किया है।”
“विक्रम साराभाई, सतीश धवन और कुछ अन्य लोगों द्वारा एक छोटी सी शुरुआत से, यह एक अद्भुत यात्रा रही है और अंतरिक्ष क्षेत्र को ‘अनलॉक’ करने और यह विश्वास जगाने के बाद कि ‘आकाश की कोई सीमा नहीं है’ यह एक बड़ी छलांग है।”