नई दिल्ली. रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी को लेकर महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ देशभर में गुस्सा है. केंद्र सरकार के मंत्रियों सहित पत्रकारों, आम जनता, संस्थाओं, ने निंदा करते हुए नाराजगी व्यक्त की. महाराष्ट्र सरकार की अवैधानिक कार्रवाई के खिलाफ देशभर में प्रदर्शनों का क्रम जारी है.
चौतरफा हो रहा विरोध
सोशल मीडिया पर अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी का जमकर विरोध हो रहा है. सामाजिक संगठन मुंबई पुलिस की कार्रवाई से बेहद नाराज हैं. अर्नब की गिरफ्तारी के बाद से लोग सोशल मीडिया के माध्यम से अपना प्रतिरोध जता रहे हैं.
देशभर में हो रहे प्रदर्शन
अर्नब की गिरफ्तारी के खिलाफ भाजपा कार्यकर्ताओं ने दिल्ली में मानसिंह रोड पर विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस के विरोध में नारेबाजी भी की. भाजपा कार्यकर्ताओं ने अर्नब की गिरफ्तारी को काला दिवस बताया. महाराष्ट्र के भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्नब गोस्वामी की आत्महत्या मामले में गिरफ्तारी को आपातकाल की तरह कार्रवाई करार दिया. उन्होंने कहा कि अर्नब की रिहाई तक भाजपा कार्यकर्ता काले बैज या काले कपड़े पहनेंगे. अर्नबकी गिरफ्तारी के विरोध में बुधवार को दिल्ली और मुंबई में विरोध प्रदर्शन हुए.
अर्नब की गिरफ्तारी को लेकर उत्तराखंड में भी जगह-जगह विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं. राजधानी देहरादून में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने महाराष्ट्र सरकार का पुतला फूंका. अभाविप के कार्यकर्ता संगठन के करनपुर स्थित कार्यालय से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ नारेबाजी करते हुए डीएवी चौक पहुंचे. यहां महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का पुतला फूंका. विद्यार्थी परिषद के प्रांत संगठन मंत्री प्रदीप शेखावत ने कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला किया किया है. देश के चौथे स्तंभ की आजादी पर यह नियोजित हमला है. प्रदेशाध्यक्ष डॉ. कौशल कुमार ने कहा कि एक वरिष्ठ पत्रकार और एक प्रतिष्ठित चैनल के संपादक को इस तरह से गिरफ्तार करना चौथे स्तंभ पर हमला है.
बिहार फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट एंड मीडिया रिपब्लिक भारत के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी पर पुलिस कार्रवाई की कड़े शब्दों में निंदा करती है. जिस प्रकार अर्नब को पुलिस हिरासत में लिया गया वह आपातकाल की याद दिलाता है. संस्था ने कहा कि महाराष्ट्र की सरकार अपनी नाकामी को छिपाने के लिए पत्रकारों पर सुनियोजित आक्रमण कर रही है. बिहार के पत्रकार संगठनों का फेडरेशन महाराष्ट्र सरकार के अलोकतांत्रिक तथा अमर्यादित व्यवहार की भर्त्सना करता है. अभिव्यक्ति की आजादी पर हमले कतई बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे.
बिहार के पत्रकारों ने 1980 के दशक में जगन्नाथ मिश्र के प्रेस बिल के खिलाफ लड़ाई लड़ी और जीती थी. महाराष्ट्र में प्रेस की आजादी पर हमला हुआ है. आज नई पीढ़ी देख सकती है कि आपातकाल में मीडिया का दमन कैसे हुआ था.