नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 नवंबर को मन की बात कार्यक्रम में जगत तारिणी दासी नामक कृष्ण भक्त महिला का उल्लेख किया. और उनकी कृष्ण भक्ति के लिए सराहना की. मूल रूप से ऑस्ट्रेलिया निवासी जगत तारिणी 1970 के दशक में भारत आईं और यहां आकर हिन्दू धर्म और कृष्ण भक्ति में ऐसा लीन हुईं कि उन्होंने अपने जीवन के 13 वर्ष वृंदावन में बिताए. वर्ष 1996 में ऑस्ट्रेलिया लौटीं जगत तारिणी ने पर्थ में कृष्ण की प्रतिमा को स्थापित करने के साथ ही एक आर्ट गैलरी (सेक्रेड इंडिया गैलरी) का निर्माण किया जो विश्वभर में छोटे वृन्दावन के नाम से प्रख्यात है.
जगत तारिणी वैसे तो मेलबर्न में ही पली-बढ़ीं, मगर 21 साल की उम्र में वह थिएटर और आर्ट के अपने शौक की खातिर सिडनी चली गईं. यह उनका घर से बाहर पहला कदम था. इसके बाद तो उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और पूरी दुनिया होते हुए वह भारत आईं. उन्होंने 1970 में वृंदावन को अपना निवास बना लिया. उन्हें यहां के लोग, परंपराएं, खानपान, कला ने इतना प्रभावित किया कि वह इसी में रम गईं.
प्रधानमंत्री ने वृंदावन को लेकतर कहा कि वृंदावन के बारे में कहा जाता है कि ये भगवान के प्रेम का प्रत्यक्ष स्वरूप है. हमारे संतों ने भी कहा है – यह आसा धरि चित्त में, कहत जथा मति मोर. वृंदावन सुख रंग कौ, काहु न पायौ और.
13 साल वृंदावन में रहीं और वहीं कन्हैया से लगाया दिल
जगत तारिणी ने पर्थ शहर में सेक्रेड इंडिया गैलरी बनाई है जो बेहद प्रसिद्ध है. मेलबर्न में पैदा हुई जगत तारिणी को इसकी प्रेरणा तब मिली, जब वह भारत आईं और कृष्ण प्रेम में 13 साल वृंदावन में रहीं. अपने देश लौटने के बाद भी वृंदावन को भूल नहीं पाईं. उन्होंने पर्थ में एक वृंदावन खड़ा कर दिया. यहां आने वाले लोगों को भारत के तीर्थ और संस्कृति की झलक देखने को मिलती है. वहां पर एक कलाकृति ऐसी भी है, जिसमें भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा रखा है.
1980 के दशक में यह बेहद मुश्किल था कि पश्चिमी देश की महिला वृंदावन की संस्कृति में अपनी पैठ बना सके, मगर उस दौर में भी जगत तारिणी ने अपने कामकाज से लोगों के दिलों में जगह बना ली और सबका विश्वास जीता. उन्होंने देश के दूसरे धार्मिक स्थानों की भी यात्राएं कीं. 1996 में वह और उनका परिवार वापस ऑस्ट्रेलिया लौट गया. मगर, कृष्ण भक्ति की अलख जगाए रखी.