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Any awards for this photograph? पुलिस अधिकारी ने बलिदानी अब्दुल रशिद की बेटी की फोटो ट्वीट कर पूछा सवाल

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नई दिल्ली. आजकल जम्मू कश्मीर के तीन फोटो जर्नलिस्ट को मिले पत्रकारिता पुरस्कार को लेकर चर्चा हो रही है. कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सहित अनेक लोग बधाईयां भी दे रहे हैं, उनके योगदान का महिमामंडन हो रहा है. पुलित्जर पुस्कार मिलने पर राहुल गांधी ने बधाई देते हुए कहा कि ‘जिंदगी की असरदार तस्वीरें’ खींचने पर पुलित्जर पुरस्कार जीतने पर बधाई. लेकिन, दूसरे पक्ष की चर्चा कहीं नहीं हुई, पुरस्कृत फोटो में इन्होंने क्या दिखाया है, और आतंकियों के साथ जंग में जान गंवाने वालों या उनके परिजनों का क्या……इसकी चर्चा कहीं नहीं है..?

तीनों फोटो जर्नलिस्ट की जिन तस्वीरों को अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिला है, उनमें पत्थरबाजों को नायक के रूप में दिखाया गया है तथा पुरस्कृत एक तस्वीर में सुरक्षा कर्मियों को तोड़ फोड़ करते हुए दिखाया गया है. तस्वीरों में यह साबित करने का प्रयास किया गया है कि सुरक्षा बल वहां के लोगों पर अत्याचार कर रहे हैं.

भारतीय सेना और सुरक्षाबलों की छवि को गलत तरीके से पेश करती तस्वीरों पर कश्मीर के फोटोग्राफरों को पुलित्जर अवार्ड मिलने से उपजे हालात में जम्मू कश्मीर के एक पुलिस अधिकारी ने एक फोटो ट्वीट की. वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक इम्तियाज हुसैन ने जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों के हमले में वीरगति को प्राप्त हुए एएसआई की मासूम बेटी की बिलखते हुए फोटो ट्वीट की और लिखा – This picture should haunt the conscience of humanity for times to come. An inconsolable daughter of a police officer martyred in 2017 in Kashmir.  Any awards for this photograph? (“आने वाले समय में यह तस्वीर मानवता की अंतरात्मा की आवाज़ होनी चाहिए. कश्मीर में 2017 में वीरगति को प्राप्त हुए पुलिस अधिकारी की गमगीन बेटी. इस तस्वीर के लिए कोई पुरस्कार?”)

तस्वीर जोहरा (जब वह पांच साल की थी) की है. उसके पिता अब्दुल रशिद जम्मू कश्मीर पुलिस में सहायक उप निरीक्षक थे. वर्ष 2017 में अब्दुल रशिद पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी हमले में वीरगति को प्राप्त हुए थे. इसी दौरान जोहरा की यह तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुई थीं. इन तस्वीरों का किसी अंतरराष्ट्रीय फोटोग्राफी पुरस्कार के लिए चयनित होना तो दूर योग्य भी नहीं माना गया. कारण स्पष्ट है क्योंकि यह उनके विमर्श (नेरेटिव) में फिट नहीं बैठतीं. इस फोटो ने वह सच उजागर किया है, जिसे कश्मीर में मानवाधिकार हनन के झंडाबरदार, आतंकियों और प्रदर्शनकारियों के हिमायती नजरअंदाज करते हैं.

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