नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने केदारनाथ तथा हेमकुंड साहिब रोपवे परियोजना को स्वीकृति प्रदान कर दी है। केदारनाथ रोपवे परियोजना 12.9 किलोमीटर लंबी होगी। इस पर करीब 4081 करोड़ रुपये खर्च होंगे। रोपवे परियोजना की शुरुआत सोनप्रयाग से होगी और यह केदारनाथ तक जाएगी। हेमकुंड साहिब रोपवे प्रोजेक्ट के लिए 2730 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई है। यह प्रोजेक्ट 12.4 किलोमीटर लंबा होगा। रोपवे परियोजना को सार्वजनिक-निजी भागीदारी से विकसित किया जाएगा।
केदारनाथ रोपवे परियोजना पर सबसे आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। रोपवे को ट्राई-केबल डिटैचेबल गोंडोला (3एस)तकनीक से निर्मित किया जाएगा। हर घंटे एक तरफ कुल 1800 लोग रोपवे के माध्यम से यात्रा कर सकेंगे। वहीं प्रतिदिन 18000 लोग यात्रा कर सकेंगे। विशेष यह कि अभी तक केदारनाथ धाम तक जाने में 8 से 9 घंटे का समय लगता है। रोपवे परियोजना के तैयार होने के बाद महज 36 मिनट में लोग धाम तक पहुंच सकेंगे।
रोपवे परियोजना केदारनाथ आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए वरदान साबित होगी। यह न केवल पर्यावरण अनुकूल और आरामदायक होगी, बल्कि अभी तक 8-9 घंटों में पूरी होने वाली दूरी को महज 36 मिनट में तय करेगी। परियोजना के वजह से कई क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर खुलेंगे।
अभी तक भक्तों को केदारनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए गौरीकुंड से 16 किलोमीटर तक बेहद चुनौतीपूर्ण यात्रा करनी पड़ती है। मौजूदा समय में यह दूरी पैदल, टट्टू, पालकी और हेलीकॉप्टर से तय करनी पड़ती है। रोपवे प्रोजेक्ट से केदारनाथ धाम तक आने वाले तीर्थयात्रियों को सीधा लाभ होगा। केदारनाथ धाम उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। यह समुद्र तल से 11968 फुट की ऊंचाई पर स्थित 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर अक्षय तृतीया से दीवाली तक साल में लगभग 6 से 7 महीने तीर्थयात्रियों के लिए खुला रहता है। सालाना लगभग 20 लाख तीर्थयात्री यहां दर्शन को आते हैं।
हेमकुंड साहिब रोपवे प्रोजेक्ट
गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब तक 12.4 किलोमीटर रोपवे परियोजना पर कुल 2730.13 करोड़ रुपये खर्च होंगे। अभी तीर्थयात्रियों को गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब तक 21 किलोमीटर की कठिन यात्रा करनी पड़ती है।
यह गोविंदघाट से घांघरिया (10.55 किमी) तक मोनोकेबल डिटैचेबल गोंडोला (एमडीजी) पर आधारित होगा। इसके बाद इसे घांघरिया से हेमकुंड साहिब जी (1.85 किमी) तक सबसे उन्नत ट्राइकेबल डिटैचेबल गोंडोला (3 एस) तकनीक से जोड़ा जाएगा। हर घंटे एक दिशा में 1,100 और पूरे दिन 11000 यात्री सफर कर सकेंगे।