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‘जितना भव्य भवन उतना भव्य कार्य खड़ा करना है’ – डॉ. मोहन भागवत जी

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नई दिल्ली, 19 फरवरी, 2025।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने झंडेवालान में पुनर्निर्मित ‘केशव कुंज’ के प्रवेशोत्सव कार्यक्रम में कहा कि ‘देश में संघ कार्य गति पकड़ रहा है, व्यापक हो रहा है। आज जिस पुनर्निर्मित भवन का यह प्रवेशोत्सव है, उसकी भव्यता के अनुरूप ही हमें संघ कार्य का स्वरूप भव्य बनाना है और हमारे कार्य से उसकी अनुभूति होनी चाहिए। यह कार्य पूरे विश्व तक जाएगा और भारत को विश्वगुरु के पद पर आसीन करेगा, ऐसा हमें पूर्ण विश्वास है। और हम अपनी इसी देह, इन्हीं आंखों से बनते देखेंगे, यह विश्वास है। लेकिन संघ के स्वयंसेवकों को इसके लिए पुरुषार्थ करना होगा। हमें इसके लिए कार्य को सतत विस्तार देना होगा।’

उन्होंने कहा कि आज संघ के विभिन्न आयामों के माध्यम से संघ कार्य का विस्तार हो रहा है। इसलिए अपेक्षा है कि संघ के स्वयंसेवक के व्यवहार में सामर्थ्य, शुचिता बनी रहे। आज संघ की दशा बदली है, लेकिन दिशा नहीं बदलनी चाहिए। समृद्धि की आवश्यकता है, जितना आवश्यक है उतना वैभव होना भी चाहिए, लेकिन ऐसा मर्यादा में रहकर होना चाहिए। केशव स्मारक समिति का यह पुनर्निर्मित भवन भव्य है, इसकी भव्यता के अनुरूप ही कार्य खड़ा करना होगा।

सरसंघचालक जी ने इस अवसर पर संघ के आरम्भ से ही आद्य सरसंघचालक डॉ. हेडगेवार जी द्वारा झेली अनेक कठिनाइयों का उल्लेख किया और नागपुर में पहले कार्यालय ‘महाल’ की शुरुआत के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि क्योंकि दिल्ली देश की राजधानी है और सूत्रों का संचालन यहां से होता है, इसलिए यहां एक कार्यालय की आवश्यकता महसूस हुई और उस आवश्यकता के अनुसार यहां कार्यालय बनाया गया है। आज यह भव्य भवन बन जाने भर से स्वयंसेवक का काम पूरा नहीं होता। हमें ध्यान रखना होगा कि उपेक्षा और विरोध हमें सावधान रखता है, लेकिन अब अनुकूलता का वातावरण है, हमें अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कार्यालय हमें कार्य की प्रेरणा देता है, लेकिन उसके वातावरण की चिंता करना प्रत्येक स्वयंसेवक का कर्तव्य है।

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष पूज्य गोविंददेव गिरी जी महाराज ने आशीर्वचन में कहा कि आज श्री गुरुजी की जयंती है, इसलिए पावन दिन है। आज शिवा जी महाराज की भी जयंती है। शिवाजी महाराज संघ की विचार शक्ति हैं। कांची कामकोटि पीठ के तत्कालीन शंकराचार्य परमाचार्य जी ने एक बार एक वरिष्ठ प्रचारक से कहा था कि संघ प्रार्थना से बढ़कर कोई मंत्र नहीं है।

छावा फिल्म का उल्लेख करते हुए गोविंददेव गिरी जी ने कहा कि छत्रपति ने ऐसे मावले तैयार किए, जो थकते नहीं, रुकते नहीं, झुकते नहीं और बिकते भी नहीं। संघ के स्वयंसेवक छत्रपति शिवाजी के तपोनिष्ठ मावलों सरीखे ही हैं। हम हिन्दू भूमि के पुत्र हैं, संघ राष्ट्र की परंपरा को पुष्ट करते हुए राष्ट्र की उन्नति की बात करता है।

उदासीन आश्रम दिल्ली के प्रमुख संत राघवानंद जी महाराज ने कहा कि संघ 100 वर्ष पूर्ण कर चुका है तो इसके पीछे डॉक्टर साहब का प्रखर संकल्प ही है। संघ ने समाज के प्रति समर्पण भाव से कार्य किया है, समाज के हर वर्ग के उत्थान के लिए कार्य किया है। इसलिए संघ कार्य सतत बढ़ रहा है।

श्री केशव स्मारक समिति के अध्यक्ष आलोक कुमार ने प्रारंभ से लेकर अब तक के केशव कुंज के पुनर्निर्माण के विभिन्न पड़ावों की विस्तार से जानकारी दी। उल्लेखनीय है कि दिल्ली में 1939 से ही संघ का काम रहा है। तब झंडेवालान में इसी स्थान पर एक छोटा सा भवन बनाया था, जिसमें संघ कार्यालय का कुछ हिस्सा बना था। लेकिन आगे 1962 में इसका विस्तार करके अन्य कक्ष बनाए गए। 1969 में श्री केशव स्मारक समिति का गठन हुआ। 80 के दशक में आवश्यकता के अनुसार भवन का और विस्तार हुआ। साल 2016 में सरसंघचालक जी ने ही अपने करकमलों से इसी स्थान पर पूजानुष्ठान के साथ केशव कुंज के तीन टॉवर वाले इस भवन का शिलान्यास किया था। और आज यह पुनर्निर्मित स्वरूप में हम सबके सामने है।

केशव कुंज में मुख्यत: तीन टॉवर हैं – 1. साधना, 2. प्रेरणा, 3. अर्चना। एक आकर्षक और आज की सब आवश्यकताओं से परिपूर्ण अशोक सिंहल सभागार है, आम जन के लिए एक केशव पुस्तकालय है, ओपीडी चिकित्सालय है, साहित्य भंडार है, सुरुचिपूर्ण और राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत पुस्तकों के लिए सुरुचि प्रकाशन है। केशव कुंज की विद्युत आवश्यकताओं की पूर्ति में सहयोग के लिए 150 किलोवाट का सोलर प्लांट है, कचरे के उचित निस्तारण रि-साइकिलिंग के लिए 140 केएलडी क्षमता का एसटीपी प्लांट है। पूर्व की तरह ही नूतन भवन में एक सुंदर-दिव्य हनुमान मंदिर है।

कार्यक्रम में ऐसे कुछ सेवा प्रदाताओं का प्रतिनिधि रूप में सम्मान किया गया, जिन्होंने भवन के निर्माण में विविध कामों में योगदान दिया है।

कार्यक्रम में मंच पर सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी, उत्तर क्षेत्र संघचालक पवन जिंदल जी, दिल्ली प्रांत संघचालक डॉ. अनिल अग्रवाल जी उपस्थित रहे। प्रवेशोत्सव में केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह जी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जी, स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा जी, सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल जी, अरुण कुमार जी, वरिष्ठ प्रचारक सुरेश सोनी जी, सम्पर्क प्रमुख रामलाल जी, सह प्रचार प्रमुख नरेन्द्र ठाकुर जी, इंद्रेश कुमार जी, प्रेम गोयल जी, रामेश्वर जी सहित अन्य वरिष्ठ कार्यकर्ता, स्वयंसेवक उपस्थित थे।

20 thoughts on “‘जितना भव्य भवन उतना भव्य कार्य खड़ा करना है’ – डॉ. मोहन भागवत जी

    1. बहुत बढ़िया काम. हां, 2014 के बाद हम हिंदू भारतीयों ने अपने वास्तविक इतिहास के बारे में बहुत सारी जानकारी हासिल की है, जो हमारे स्कूल की किताबों में उपलब्ध नहीं थी। मेरे दृष्टिकोण से, हमें अपनी आने वाली पीढ़ी को उनकी स्कूली शिक्षा के अनुसार अपनी हिंदू संस्कृति और इतिहास के बारे में और अधिक शिक्षित करना होगा। जय हिन्द. जय भारत.

    2. यह आलेख डॉ. मोहन भागवत जी के संदेश को अत्यंत महत्वपूर्ण दृष्टिकोण से प्रस्तुत करता है, जिसमें संघ कार्य के विस्तार और उसकी भव्यता के बारे में विचार व्यक्त किए गए हैं। डॉ. भागवत जी ने स्पष्ट रूप से कहा कि जितना भव्य भवन उतना भव्य कार्य खड़ा करना है, जो न केवल संघ कार्य की भव्यता को बढ़ाता है, बल्कि उसे और भी ऊंचे लक्ष्यों तक पहुंचाने की प्रेरणा भी देता है।
      डॉ. भागवत जी के इस उद्घाटन भाषण में हमें यह सिखने को मिलता है कि समाज और राष्ट्र के लिए कार्य करना केवल कर्तव्य नहीं, बल्कि एक आत्मसमर्पण है। जैसे केशव कुंज का पुनर्निर्माण एक ठोस और भव्य कदम है, वैसे ही संघ को भी अपने कार्य को लगातार विस्तारित, प्रभावशाली और उद्देश्यपूर्ण बनाना होगा, ताकि यह राष्ट्र को नई दिशा और समृद्धि की ओर अग्रसर कर सके।

      इसलिए, संघ के स्वयंसेवकों को केवल इस भव्य भवन की भव्यता से संतुष्ट नहीं होना चाहिए, बल्कि उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि उनका कार्य और योगदान भी उतना ही प्रभावी और भव्य हो, जैसा कि उनके द्वारा निर्मित भवन की भव्यता है।

  1. यह आलेख डॉ. मोहन भागवत जी के संदेश को अत्यंत महत्वपूर्ण दृष्टिकोण से प्रस्तुत करता है, जिसमें संघ कार्य के विस्तार और उसकी भव्यता के बारे में विचार व्यक्त किए गए हैं। डॉ. भागवत जी ने स्पष्ट रूप से कहा कि जितना भव्य भवन उतना भव्य कार्य खड़ा करना है, जो न केवल संघ कार्य की भव्यता को बढ़ाता है, बल्कि उसे और भी ऊंचे लक्ष्यों तक पहुंचाने की प्रेरणा भी देता है।

    यह विचार न केवल भौतिक दृष्टि से, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। जब हम किसी कार्य को भव्य बनाने का संकल्प लेते हैं, तो हमें उसकी गुणवत्ता, उद्देश्य और निरंतरता पर भी ध्यान देना होगा। संघ कार्य का विस्तार तभी संभव है, जब हम अपने उद्देश्य को लेकर पूरी तरह समर्पित रहें, जैसे कि डॉ. हेडगेवार जी ने कड़ी मेहनत और संघर्ष के बाद संघ की नींव रखी थी।

    आज के समय में संघ का कार्य केवल भव्य भवनों तक सीमित नहीं रह सकता। यह तब तक वास्तविक भव्यता प्राप्त नहीं कर सकता जब तक हम अपने कार्यों को न केवल विश्वस्तरीय बनाए, बल्कि समाज के हर वर्ग तक उसका प्रभाव पहुंचाने में सक्षम न हों। समाज में सुधार, सहयोग और समृद्धि की दिशा में संघ का योगदान निरंतर बढ़ता जा रहा है, और इसके लिए हर स्वयंसेवक का व्यक्तिगत प्रयास आवश्यक है।

    डॉ. भागवत जी के इस उद्घाटन भाषण में हमें यह सिखने को मिलता है कि समाज और राष्ट्र के लिए कार्य करना केवल कर्तव्य नहीं, बल्कि एक आत्मसमर्पण है। जैसे केशव कुंज का पुनर्निर्माण एक ठोस और भव्य कदम है, वैसे ही संघ को भी अपने कार्य को लगातार विस्तारित, प्रभावशाली और उद्देश्यपूर्ण बनाना होगा, ताकि यह राष्ट्र को नई दिशा और समृद्धि की ओर अग्रसर कर सके।

    इसलिए, संघ के स्वयंसेवकों को केवल इस भव्य भवन की भव्यता से संतुष्ट नहीं होना चाहिए, बल्कि उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि उनका कार्य और योगदान भी उतना ही प्रभावी और भव्य हो, जैसा कि उनके द्वारा निर्मित भवन की भव्यता है।

  2. जय श्री राम, सभी संघ सेवा की हार्दिक शुभकामनाएं।

  3. बहत बढ़िया है
    मैं सभी के उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूं

  4. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी की सोच की उडान तो क्षितीज पार की है।
    राम के वचनै जैसी कार्य प्रनाली है।
    जो हम सेवक को स्फुर्ति देती है।
    उनके जो पुनर्निर्मित ‘केशव कुंज’ के प्रवेशोत्सव कार्यक्रम से यह संघ को भव्यता के साथ कार्य गति बडती ही चली जा रही है अब इसे रोकना असभंव है। इस अनुभूति से ‘देश में संघ कार्य गति पकड़ रही है, व्यापक हो रही है। और उसकी भव्यता के अनुरूप ही हमें संघ कार्य का स्वरूप भव्य बनाना है।

  5. हम सभी को गर्व महसूस होता है जब ऐसा प्रेरणादायक इतिहास हमें बताया जाता है और ऐसी ऐतिहासिक इमारत का पुनर्निर्माण किया जाता है..! जय श्री राम

  6. श्री शिवाय नमस्तुभ्यं 🙏 जय सिया राम 🙏 जय हिन्द 🙏 जय हो

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