करंट टॉपिक्स

अगले छह माह में बहुविवाह पर रोक लगाएगी असम सरकार, मुख्यमंत्री ने की घोषणा

Spread the love

गुवाहाटी. बाल विवाह को रोकने के लिए सख्त कार्रवाई के पश्चात अब असम सरकार अगले छह महीने में बहुविवाह पर रोक लगाएगी. राज्य में बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने की कानूनी प्रक्रियाओं की जांच के लिए सरकार एक विशेष समिति का गठन करेगी. सरकार के दो साल पूरे होने के अवसर पर मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि असम सरकार ने यह जांचने के लिए एक विशेषज्ञ समिति बनाने का निर्णय लिया है कि राज्य सरकार के पास राज्य में बहुविवाह पर रोक लगाने का अधिकार है या नहीं. अभी हम यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) से नहीं गुजर रहे हैं, लेकिन हम एक राज्य अधिनियम के तहत बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि एक ठोस निर्णय पर पहुंचने के लिए कानूनी विशेषज्ञों सहित सभी हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श करेगी.

हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि असमिया भाषी मुसलमानों में बहुविवाह प्रथा बहुत कम है. लेकिन बहुविवाह बराक घाटी, होजई, जमुनामुख आदि क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर पाया जाता है. ये क्षेत्र ज्यादातर प्रवासी मुस्लिम बहुल हैं. हाल ही में बाल विवाह के खिलाफ कार्रवाई के दौरान यह पाया गया कि मुस्लिम इलाकों में 60, 65 साल के लोग बहुविवाह करते हैं और छोटी लड़कियों से शादी करते हैं.

उन्होंने कहा कि बाल विवाह के खिलाफ कार्रवाई ही काफी नहीं है, बहुविवाह पर प्रतिबंध भी उतना ही महत्वपूर्ण है. बहुविवाह के नाम पर संपन्न बुजुर्ग पुरुष अपने से कम उम्र की लड़कियों से शादी कर लेते हैं. लेकिन हम इसे जबरदस्ती लागू नहीं करना चाहते. समिति मुस्लिम नेताओं, इस्लामिक मौलवियों से भी इस मामले पर चर्चा करेगी. यह एक आम सहमति निर्माण गतिविधि की तरह होना चाहिए.

मुख्यमंत्री ने कहा कि “मैंने पिछले 7 दिनों में इस्लामी कानून का बहुत ध्यान से अध्ययन किया है, बहुविवाह इस्लामी कानून के अनुसार एक आवश्यक प्रथा नहीं है. पैगंबर मोहम्मद ने केवल एक विवाह की बात की थी. बहुविवाह केवल पहली पत्नी की पूर्व सहमति से होता है, वह भी उन दिनों चिकित्सा स्थितियों में. लेकिन आजकल यह प्रासंगिक नहीं है. मोनोगैमी जड़ है, बहुविवाह असाधारण है”.

मुंबई का संगठन भी बहुविवाह के विरोध में

मुस्लिम पर्सनल लॉ में एक मुस्लिम शख्स को चार पत्नियां रखने का अधिकार है. भारत में इस पर रोक लगाने के लिए अभी कोई कानून नहीं है. लेकिन इसके विरोध में मुंबई का भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन नाम का संगठन लंबे समय से काम कर रहा है.

इसकी संस्थापक जाकिया सोमेन तीन तलाक के खिलाफ अभियान चला चुकी हैं. उनके संगठन ने 2019 में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *