पाकिस्तान में लंबे समय से अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार और जबरन धर्म परिवर्तन के मामलों पर अब पाक संसद ने भी मुहर लगा दी है. पाक की संसदीय समिति ने स्वीकार किया है कि सरकार धार्मिक अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करने में पूरी तरह असफल रही है. सीनेटर अनवारुल हक काकर की अध्यक्षता में गठित समिति ने हाल ही में जबरन धर्म परिवर्तन के मामलों के संबंध में सिंध प्रांत के कई क्षेत्रों का दौरा किया. इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हिन्दू लड़कियों को अगवा कर जबरन धर्म परिवर्तन व अत्याचार की घटनाएं हो रही हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार संसदीय समिति के अध्यक्ष काकर ने सिंध प्रांत के प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के पश्चात अपने जांच निष्कर्ष पत्रकारों के साथ साझा किए. उनका स्पष्ट रूप से मानना है कि सरकार ने जबरन धर्म परिवर्तन के मामलों में किसी भी तरह की जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं किया है. सरकार इन मामलों को रोकने में पूरी तरह विफल रही है. अधिकतर मामले सीधे तौर पर धर्म परिवर्तन के हैं. कुछ मामलों में दलील दी गई कि यह कार्य लड़कियों के जीवन स्तर में सुधार के लिए किया गया, लेकिन ऐसा नहीं माना जा सकता. ऐसे सभी मामले धर्म परिवर्तन के ही हैं. आर्थिक आधार या लालच देकर किया गया कार्य भी जबरन धर्म परिवर्तन की श्रेणी में ही है.
संसदीय समिति ने यह भी कहा कि अत्याचार के साथ ही हिन्दू लड़कियों को यहां से ले जाने के लिए कई तरह के लालच दिए जाते हैं. जो लोग ये हरकतें कर रहे हैं, उनको सोचना चाहिए कि क्या वे अपनी लड़कियों के साथ भी ऐसा होना पसंद करेंगे. घटनाओं का शर्मनाक पहलू है कि ऐसे घिनौने कार्य करने वाले लड़कियों के परिवार वालों के दर्द और सम्मान का भी ध्यान नहीं रख रहे.
समिति ने सुझाव दिया कि जहां हिन्दू लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है, वहां पर जिला प्रशासन को नियमों में परिवर्तन करना चाहिए. किसी भी लड़की के विवाह में उसके वली (माता-पिता या संरक्षक) की उपस्थिति और रजामंदी आवश्यक होनी चाहिए. जिला प्रशासन को ऐसी लड़कियों को स्पष्ट रूप से समझाना चाहिए कि जबरन और सहमति की शादी में क्या फर्क है. नाबालिग लड़कियों के मामलों में जिला प्रशासन का दायित्व और अधिक बढ़ जाता है.
संसदीय समिति की रिपोर्ट के अनुसार ज्यादातर मामले संगर, घोटकी, सक्कर, खैरपुर, मीरपुर खास और खैबर पख्तूनख्वा के हैं. पंजाब के कुछ हिस्सों में ईसाई युवतियों के मामले भी सामने आए हैं. सामाजिक कार्यकर्ता कृष्ण शर्मा ने कहा कि हिन्दू लड़कियों के जबरन धर्म परिवर्तन में दो तरह के मामले देखने को मिल रहे हैं. इनमें पहले मामले अपहरण और अवैध रूप से रखे जाने के हैं. दूसरे किस्म के मामले और भी गंभीर हैं. इन मामलों में सुनियोजित प्रक्रिया के तहत कार्य किया जा रहा है.