रायपुर, छत्तीसगढ़. नारायणपुर जिले में चर्च समर्थित समूह ने एक बार फिर जनजाति समाज को निशाना बनाया है. समूह ने जिले के गोर्रा गांव में जनजाति नागरिकों को निशाना बनाते हुए उन पर जानलेवा हमला किया.
अभी तक सामने आई जानकारी के अनुसार ईसाई मिशनरी से जुड़े लोगों ने जनजाति समाज के उन नागरिकों एवं स्थानीय नेतृत्वकर्ताओं को मुख्य रूप से निशाना बनाया, जो बस्तर में स्थानीय स्तर पर ईसाई मिशनरियों की अवैध गतिविधियों और जबरन धर्मान्तरण का विरोध करते हैं.
नैरेटिव वर्ल्ड की रिपोर्ट के अनुसार, 1 जनवरी को गोर्रा गांव में जनजाति समाज की बैठक चल रही थी, इस दौरान सुबह लगभग 11 बजे ईसाइयों की भीड़ ने जनजाति नागरिकों पर हमला बोल दिया.
चर्च समर्थित ईसाइयों के हमले में जनजाति समाज के एक दर्जन से अधिक नागरिक घायल हुए, जिन्हें उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया. घायल लोगों में नारायणपुर जिला के निवासी लच्छन कांगे, पगड़ी बिरसिंग, रामसिंह दुग्गा और सिंगलूराम दुग्गा व अन्य ग्रामीण शामिल हैं.
आतंक को इसी से समझा जा सकता है कि जब पुलिस बल ने कानून व्यवस्था को संभालने के किए गुंडागर्दी को रोकने का प्रयास किया तो समूह ने पुलिस बल के साथ भी मारपीट की. ईसाई मिशनरी सदस्यों द्वारा की गई मारपीट में एडका थाना प्रभारी वायएस जोशी को गंभीर चोट आई है, जिन्हें प्राथमिक उपचार के बाद जगदलपुर रेफर किया गया है.
जानकारी के अनुसार, घटना में ईसाई समूह के करीबन 200 लोग मौजूद थे, जिन्होंने इस मारपीट की घटना को अंजाम दिया. हमले का नेतृत्व ईसाई पादरी बाजारू दुग्गा और जयराम दुग्गा कर रहे थे.
स्थानीय ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार समूह द्वारा चिन्हित कर जनजाति नागरिकों को निशाना बनाया गया है, जिसके बाद उनके घरों में भी हमला किया.
घटना के बाद नारायणपुर के आसपास के गांव ही नहीं, बल्कि पूरे बस्तर संभाग में ईसाई मिशनरियों के विरुद्ध जनजाति समाज में रोष देखा जा रहा है.
क्षेत्र में अवैध गतिविधियों को लेकर जनजाति समाज ने शासन-प्रशासन को ज्ञापन देने सहित शिकायत भी दर्ज कराई है, लेकिन इसके बावजूद समूह अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आया.
जनजाति समाज द्वारा बार-बार शिकायत करने के बाद भी पुलिस द्वारा ईसाई मिशनरियों पर कोई कार्रवाई ना होना यह प्रदर्शित करता है कि शासन-प्रशासन में बैठे लोग ‘चर्च’ की मदद कर रहे हैं.
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि ईसाई मिशनरियों की अनैतिक गतिविधियों के शुरू होने पूर्व इस पूरे क्षेत्र में शांति का माहौल था, जिसमें सभी ग्रामजन आपस में मिल-बांटकर रहते थे. लेकिन मिशनरियों द्वारा अवैध मतांतरण की गतिविधियों को अंजाम दिए जाने के बाद पूरे क्षेत्र में वैमनस्यता बढ़ चुकी है.
अवैध गतिविधियों के चलते बस्तर में जनजाति समाज के भीतर ही मनमुटाव पैदा हो रहा है, जिससे ना सिर्फ समाज टूट रहा है. बल्कि उनकी परम्पराओं का भी ह्रास हो रहा है.