भोपाल/नई दिल्ली.
दिल्ली मुंबई रेल मार्ग पर 18 सितम्बर को मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले से गुजर रही सेना की स्पेशल ट्रेन को पटरी से उतारने सी साजिश विफल हो गई. ट्रेन जम्मू कश्मीर से कर्नाटक जा रही थी. विस्फोट की आवाज सुनकर ट्रेन के चालक ने तुरंत ट्रेन रोक दी. साथ ही घटना की सूचना नजदीकी स्टेशन मास्टर को दी. ट्रेन चालक ने घटना से जुड़ी पूरी रिपोर्ट भुसावल जंक्शन पर दर्ज करवाई. मामले की गम्भीरता को देखते हुए सुरक्षा एजेंसियां भी सतर्क हुईं और खंडवा रेलवे पुलिस के साथ ही रेलवे का सतर्कता विभाग और स्थानीय मप्र पुलिस एवं एटीएस सभी जांच में जुट गए.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, खंडवा रेलवे सुरक्षा बल के अंतर्गत आने वाले बुरहानपुर जिले के सागफ़ाटा रेलवे स्टेशन के नजदीक सेना के जवानों की एक स्पेशल ट्रेन को डीरेल करने की नाकामयाब कोशिश की गई. मामला बुधवार (18 सितम्बर) दोपहर का है, लेकिन अब जानकारी मिलते ही सभी जांच एजेंसियां भी जांच में जुट गई हैं. सागफाटा रेलवे स्टेशन के समीप ट्रेक पर कुछ अज्ञात लोगों ने खंबा नंबर 537/5 और 537/3 के बीच कुछ विस्फोटक लगा दिए थे. विस्फोट की आवाज सुन ट्रेन का चालक दल सचेत हुआ और ट्रेन को सागफाटा से कुछ दूरी पर रोक कर सागफटा स्टेशन मास्टर को मेमो दिया. 5 मिनट रुकने के बाद ट्रेन भुसावल की ओर रवाना हो गई और भुसावल पहुंचकर घटना की शिकायत स्टेशन मास्टर को की गई.
अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, घटना के बाद शनिवार दोपहर पुलिस विभाग की स्पेशल शाखा डीएसपी, नेपानगर एसडीओपी, नेपानगर थाना प्रभारी सहित रेलवे के अधिकारियों ने घटना स्थल की जांच की. राष्ट्रीय सुरक्षा ऐजेंसियों के अधिकारी भी मामले की जांच करने खंडवा पहुंचे हैं. पूरा मामला गंभीर होने के साथ साथ सेना से जुड़ा होने के चलते सुरक्षा अधिकारियों द्वारा गोपनीयता बरती जा रही है, और कुछ भी जानकारी देने से बचा जा रहा है, जिससे अब तक पूरे मामले की आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है.
प्रारंभिक जांच और संदिग्धों की हिरासत
प्रारंभिक जांच में पाया गया कि पटरी पर बिछाए गए डेटोनेटर फ़ॉग डेटोनेटर थे, जिन्हें रेलवे द्वारा कुहासा के समय ट्रेन के लोको पायलट को सचेत करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. हालाँकि, इन डेटोनेटरों की वैधता समाप्त हो चुकी थी और इन्हें अज्ञात लोगों ने पटरी पर रखा था. घटना के बाद पुलिस ने 4-5 संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की है.
राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA), आतंक निरोधी दस्ता (ATS), और रेलवे सुरक्षा बल (RPF) सहित अन्य सुरक्षा एजेंसियाँ मामले की गंभीरता से जांच कर रही हैं. साजिश के पीछे किस संगठन या समूह का हाथ है, इसका पता लगाया जा रहा है.
हमलों की बढ़ती घटनाएँ
यह घटना अकेली नहीं है, बल्कि देश भर में ट्रेनों को निशाना बनाने की कई साजिशों का पता चला है. 17 अगस्त 2024 को कानपुर में साबरमती एक्सप्रेस के 17 डिब्बे पटरी से उतर गए थे, जिसमें लोको पायलट ने बताया था कि किसी चीज से ट्रेन के टकराने के बाद हादसा हुआ था. 8 सितंबर 2024 को प्रयागराज से भिवानी जा रही कालिंदी एक्सप्रेस को ट्रैक पर LPG सिलेंडर रखकर पटरी से उतारने की कोशिश की गई थी. इसके अलावा, 22 सितंबर को उत्तर प्रदेश के प्रेमपुर रेलवे स्टेशन के पास भी एक खाली गैस सिलेंडर पाया गया, जिससे मालगाड़ी को रोका गया.
पिछले दो महीनों में ट्रेन दुर्घटनाओं की 23 साजिशों का खुलासा हो चुका है. सरकार इस तरह की घटनाओं पर सख्त रुख अपनाने के लिए रेलवे अधिनियम 1989 में संशोधन की योजना बना रही है, जिसमें दोषियों को अधिकतम 10 साल की सजा के साथ देशद्रोह की श्रेणी में लाकर मृत्युदंड का प्रावधान करने की तैयारी है.