बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी, लखनऊ में 16 और 17 नवंबर 2024 को आयोजित अवध फिल्म फेस्टिवल ने समाज को दिशा देने वाले विषयों पर आधारित फिल्मों के माध्यम से नई चेतना जगाने का प्रयास किया.
मंच पर मुख्य अतिथि पत्रकार एवं लेखक अनंत विजय, विशिष्ट अतिथि सदस्य विधान परिषद पवन सिंह चौहान एवं राष्ट्रधर्म प्रकाशन के निदेशक मनोजकान्त, बीबीएयू वीसी प्रोफेसर एन.एम.पी. वर्मा, अवध चित्र साधना सचिव अरुण त्रिवेदी, उपस्थित रहे.
कार्यक्रम के समापन सत्र में अवध चित्र साधना के अध्यक्ष प्रो. गोविन्द जी पांडेय ने ऐतिहासिक फिल्मों जैसे अछूत कन्या और दो बीघा जमीन के माध्यम से सिनेमा की सामाजिक जिम्मेदारी और फ़िल्मों द्वारा समाज में बनाई परिकल्पना के बारे में चर्चा की. अरुण त्रिवेदी ने संस्था के उद्दश्यों और भविष्य के लिए संस्था की रूप रेखा के बारे में बताया.
मुख्य अतिथि लेखक एवं पत्रकार अनंत विजय ने फ़िल्म निर्माण की प्रक्रिया के बारे में कहा कि फ़िल्म निर्माण में निर्माता द्वारा विचारों को दृश्य के रूप में प्रस्तुत करना आसान नहीं है, एक बड़ी चुनौती है. आज के डिजिटल युग में कम समय में कहानी कहने का प्रचलन चला है. प्रोफेसर एन.एम.पी. वर्मा ने कहा कि विश्वविद्यालय के ओपन एयर थियेटर को विकसित करने का प्रस्ताव रखा. और इसकी जिम्मेदारी जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग के विभागाध्यक्ष को दी. नोएडा फ़िल्म सिटी और ज़ेवर एयरपोर्ट के संचालन से लखनऊ में फ़िल्म निर्माताओं के लिए बेहतर अवसर मिलेगा. जनसंचार पत्रकारिता विभाग ने विषय की शुरुआत कर बी ए फ़िल्म थिएटर और मीडिया स्टडीज का कोर्स शुरू किया.
विशिष्ट अतिथि पवन चौहान ने कहा कि भारतीय फ़िल्म इंडस्ट्री में उत्तर प्रदेश का एक महत्वपूर्ण रोल है क्योंकि अधिकतर कहानियाँ उत्तर प्रदेश या उत्तर भारत से जुड़ी हैं. फ़िल्म शोले की कहानी उत्तर प्रदेश के सीतापुर जनपद से जुड़ी हुई है. विशिष्ट अतिथि निदेशक राष्ट्रधर्म प्रकाशन मनोजकांत ने फ़िल्म निर्माण में कहानियों के महत्व और कहानी चुनाव के बारे में बताया.
मास्टर क्लास में डॉ. अनिल रस्तोगी और रमा अरुण त्रिवेदी ने छात्रों को फ़िल्म निर्माण के गुण बताए, इस दौरान बॉलीवुड फ़िल्म कलाकार डॉ. अनिल रस्तोगी ने कहा “फ़िल्म निर्माण और कला के क्षेत्र में उम्र मात्र एक नंबर है. आज मेरी उम्र 81 वर्ष से अधिक है, लेकिन मैं लगातार अपना अच्छा किरदार निभाने की कोशिश करता हूँ”.
अवध फिल्म फेस्टिवल में देशभर से कुल सौ फिल्में आयी थी. जिनमें कुल 54 फिल्मों को प्रतियोगिता के लिए चुना गया. जिनमे कैंपस, प्रोफेशनल और जस्ट पास आउट श्रेणी में फिल्मों को अवार्ड मिला.
फ़िल्म फेस्टिवल में प्रमुख रूप से काशी विद्यापीठ के महामना मदन मोहन मालवीय हिंदी पत्रकारिता संस्थान के पूर्व निदेशक प्रोफेसर ओम प्रकाश सिंह, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के प्रचार प्रमुख सुभाष जी सहित पत्रकारिता संस्थान के शिक्षक और विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे.