काशी. कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय, रायपुर-छत्तीसगढ़ के कुलपति प्रो. बलदेव भाई शर्मा ने कहा कि पत्रकारिता का अर्थ केवल ख़बरों का सम्प्रेषण करना नहीं है, लोक कल्याण एवं समाज का जागरण भी महत्वपूर्ण कार्य है. भारत की जनता ने पत्रकारिता पर विश्वास कर जो सम्मान दिया, उसके फलस्वरूप इसे लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा गया. भारत को आत्महीनता का शिकार बनाना, गौरव को क्षीण करना, यह जब हो रहा हो तो पत्रकारिता की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है. देवर्षि नारद हमारे प्रेरणा स्रोत के रूप में सामने आते हैं. भारत के मूल्य बोध को जन-जन में जागृत करना यही आत्मनिर्भरता है.
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में महामना सभागार (संगोष्ठी संकुल) में विश्व संवाद केन्द्र काशी द्वारा आयोजित आद्य पत्रकार देवर्षि नारद जयन्ती एवं पत्रकार सम्मान समारोह के दौरान “आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में पत्रकारिता की भूमिका” विषयक संगोष्ठी को सम्बोधित कर रहे थे. कार्यक्रम के दौरान पत्रकारिता के क्षेत्र में विशिष्ट कार्य करने वाले पत्रकारों को देवर्षि नारद सम्मान से सम्मानित किया गया.
बलदेव भाई ने कहा कि पत्रकारिता को मुनाफे का कारोबार नहीं बनाना है. इस राष्ट्र में ऐसे भी लोग हुए, जिन्होंने पत्नी के गहने बेचकर पत्रकारिता का कार्य किया. प्रयाग में स्वराज पत्रिका के आठ संपादकों को जेल हुई. हर बार पत्रिका में विज्ञापन होता था – “सम्पादक चाहिए, वेतन – दो सूखी रोटी, एक गिलास पानी”. पत्रकारिता को भारत की ऋषि परम्परा का वंशज होना चाहिए. पत्रकरिता कबीर की वंशधर्मी है, जिसका कार्य है सोते हुए को जगाना और रोते हुए के आँखों के आंसु पोछना.
प्रभाष जोशी के एक वक्तव्य का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि “पत्रकार की पॉलिटिकल लाइन तो होनी चाहिए, पर पार्टी लाइन नहीं”. पत्रकरिता में सोशल मीडिया की भूमिका पर कहा कि वर्तमान में सोशल मीडिया पत्रकरिता का अनिवार्य अंग है. उसका दुरूपयोग नुकसानदेह है. पत्रकारिता बौद्धिक खेल नहीं है, यह नैतिक उद्यम है. भारतीय पत्रकारिता के मूल तत्व पर कहा कि सजगता, निर्भयता, सत्यान्वेषण और मानवीय संवेदना भारत की पत्रकारिता के मूल तत्व हैं.
उन्होंने कहा कि राष्ट्र और राष्ट्रीयता का एक अध्याय ऋग्वेद में है. बंधुता, स्वतंत्रता, समानता फ़्रांस की क्रांति के मूल भाव बताए जाते हैं, पर वेदों में वर्षों पूर्व इनका उल्लेख मिलता है. इनक्रेडिबल जापान नामक पुस्तक के सम्पादकीय में उल्लेखित है कि दुनिया में जापान केवल आर्थिक तरक्की के बल पर सर्वोच्च राष्ट्र नहीं बना है, बल्कि अपने नागरिकों की आत्मनिर्भरता के बल पर यह प्रतिष्ठा अर्जित की है. पत्रकरिता का धूमिल चरित्र भी अपने सामने है, अतः पत्रकरिता को केवल जीविकोपार्जन तक नहीं रखना चाहिए. कोरोना काल में अनेक पत्रकारों ने कोरोना योद्धा बनकर रोग के बचाव एवं चिकित्सा के प्रति जन जागरूकता फैलाई.
कार्यक्रम के प्राम्भ में देवर्षि नारद एवं भारत माता के चित्र पर पुष्पार्चन कर अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित किया गया. विषय प्रस्तावना रखते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के क्षेत्र कार्यवाह डॉ.वीरेन्द्र जायसवाल ने कहा कि आद्य पत्रकार भगवान नारद ने मोह के सभी कारणों का त्याग किया. जो हितकर है ऐसे समाचार को सही समय पर, सही जगह पर पहुँचाया.
कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो. अरविन्द जोशी (संकाय प्रमुख, सामाजिक विज्ञान संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) ने कहा कि लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ सामाजिक सरोकारों से सम्बन्धित है. महामना मालवीय जी भी पत्रकार रहे. आत्मनिर्भर भारत की रचना में उनका योगदान स्वर्णाक्षरों में अंकित रहेगा. सम्मान समारोह में पत्रकारिता के क्षेत्र में विशिष्ट कार्य करने वाले 7 पत्रकारों सीनियर सब एडिटर अनिरुद्ध पाण्डेय, छायाकार उत्तम राय चौधरी, वीडियो पत्रकार पुरुषोत्तम चतुर्वेदी, सम्पादक सुनील सिंह, सम्पादक विजयलक्ष्मी सिंह, वरिष्ठ पत्रकार अजय श्रीवास्तव एवं संवाददाता आशुतोष उपाध्याय को सम्मानित किया गया. कार्यक्रम में सनातन धर्म इंटर कॉलेज के स्काउट गाइड के छात्रों का विशेष सहयोग रहा.