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आयुर्वेद – छह दिन में ठीक हुआ कोरोना संक्रमित मरीज, एआईआईए के जर्नल में प्रकाशित केस स्टडी

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नई दिल्ली. आयुर्वेद कोरोना के उपचार में कारगर है, ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद की केस स्टडी से यह सिद्ध हो गया है. केस स्टडी के अनुसार आयुर्वेदिक दवाओं के दम पर कोरोना संक्रमित मरीज को महज छह दिनों में पूरी तरह से ठीक करने में सफलता मिली है. आयुष मंत्रालय के दिल्ली स्थित अस्पताल अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) के जर्नल आयु केयर में केस स्टडी को प्रकाशित किया गया है. ये चार दवाएं हैं आयुष क्वाथ, शेषमणि वटी, फीफाट्रोल और लक्ष्मीविलास रस. आयु केयर जर्नल के ताजा अंक में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार केस स्टडी एक 30 वर्षीय स्वास्थ्यकर्मी की है, जो कोरोना से संक्रमित था और मध्यम लक्षणों वाला रोगी था. आयुर्वेद को कोरोना के इलाज में औपचारिक रूप से शामिल किए जाने का इंडियन मेडिकल एसोसिएशन यानि आइएमए भले ही विरोध कर रहा हो, लेकिन इलाज के दौरान वैज्ञानिक तरीके से जुटाए गए सबूत आयुर्वेद की उपयोगिता को साबित कर रहे हैं.

केस स्टडी के अनुसार, एक महीने पहले टाइफाइड से संक्रमित व्यक्ति कोरोना से भी संक्रमित पाया गया. उसमें कोरोना से माइल्ड रूप से संक्रमित होने के सारे लक्षण थे और टेस्ट में भी उसके कोरोना पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई. दो दिनों के संक्रमण के बाद उसे भारतीय आयुर्वेद संस्थान में भर्ती किया गया. एआईआईए के रोग निदान एवं विकृति विज्ञान विभाग के डॉ. शिशिर कुमार मंडल के नेतृत्व में डाक्टरों की एक टीम ने तीसरे दिन से रोगी का उपचार शुरू किया. चौथे दिन से ही उसकी स्थिति में सुधार देखा गया. बुखार, सांस लेने में तकलीफ, गले की खराश एवं खांसी में कमी आ गई. इसी प्रकार सिरदर्द, बदन दर्द में भी कमी का रुझान देखा गया तथा स्वाद खोने की स्थिति भी सुधरने लगी. यह उपचार छठे दिन तक जारी रखा गया और छठे दिन ही उसका कोरोना टेस्ट निगेटिव निकला.

रोग निदान एवं विकृति विज्ञान के डॉक्टर शिशिर कुमार मंडल के अनुसार यह केस स्टडी कोविड के उपचार में आयुर्वेद की उपयोगिता का सबूत है.

फीफाट्रोल पांच प्रमुख जड़ी-बूटियों सुदर्शन घन वटी, संजीवनी वटी, गोदांती भस्म, त्रिभुवन कीर्ति रस तथा मत्युंजय रस से निर्मित है. जबकि आठ अन्य बूटियां तुलसी, कुटकी, चिरायता, गुडुची, दारुहरिद्रा, अपामार्ग, करंज तथा मोथा के अंश भी शामिल हैं. एमिल फार्मास्युटिकल ने लंबे शोध एवं अनुसंधान से इस फार्मूले को तैयार किया है. जबकि आयुष क्वाथ दालचीनी, तुलसी, काली मिर्च तथा सुंथी का मिश्रण है. शेषमणि वटी को गिलोय की छाल से तैयार किया गया है. जबकि लक्ष्मीविलास रस में अभ्रक भस्म से 13 तत्व मिलाए गए हैं. कोरोना के मरीजों के आयुर्वेदिक इलाज के लिए जारी गाइडलाइंस में भी ये दवाएं शामिल हैं.

छह अक्तूबर को स्वास्थ्य मंत्रालय ने आयुर्वेद से कोरोना के इलाज के लिए विस्तृत गाइडलाइंस और प्रोटोकॉल जारी किया था. लेकिन आइएमए ने इसका विरोध करते सवाल किया था कि आयुर्वेद से कोरोना के इलाज होने के सरकार के पास क्या सबूत हैं.

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