बाड़मेर. अयोध्या में बन रहे भगवान श्रीराम के मंदिर निर्माण में अपना योगदान देने में कोई पीछे नहीं रहना चाहता. सर्व समाज के लोग कार्यकर्ताओं को बुला बुलाकर निधि समर्पित कर रहे हैं. समाज का हर वर्ग सम्मिलित है. पिछले दिनों बाड़मेर के गूंगा गांव के कालबेलिया समाज के दो भाइयों जोशीनाथ कालबेलिया व भंवरनाथ कालबेलिया ने परिवार सहित स्वयं आगे बढ़कर मंदिर निर्माण हेतु 51-51 सौ रुपये की निधि समर्पित की.
उन्होंने कहा कि श्रीराम तो भगवान थे, सर्वशक्ति सम्पन्न थे. लेकिन वे शबरी की कुटिया में गए, उसकी भक्ति भावना को देखते हुए उसके जूठे बेर खाए, उसका जीवन सफल हो गया. इससे बड़ा सामाजिक समरसता का दूसरा उदाहरण दुनिया में कहीं नहीं मिलता. उन्होंने कहा कि आज श्रीराम जी के भव्य मंदिर के लिए निधि की कोई कमी नहीं है. उसमें हमारा यह योगदान बहुत छोटा है. लेकिन हमें गर्व है कि श्रीरामजी के काज में हमारा भी कुछ हिस्सा रहेगा. इससे हमारा जीवन सफल हो गया.
देश के अन्य भागों से भी ऐसी ही जानकारियां सामने आ रही हैं, जिससे पता चलता है कि जनजाति समाज के लोग भगवान श्रीराम के प्रति कितनी श्रद्धा और जुड़ाव रखते हैं. वनवासी चाहते हैं कि भगवान श्रीराम का मंदिर भव्यतम हो. वनवास के दिनों में वे जनजातीय समाज के बीच ही रहे थे, जहां उन्होंने सत्य, समरसता, प्रेम, मर्यादा और सेवा का संदेश दिया था. यही कारण था कि श्रीराम का जब रावण से युद्ध हुआ तो वनवासी समाज ने पूरे सामर्थ्य के साथ उनका साथ दिया था.