रायपुर. कोरोना महामारी के दौरान लगाए गए लॉकडाउन में माओवादी आतंकियों ने स्कूल-कॉलेज के विद्यार्थियों और ग्रामीण युवाओं को दबाव डालकर अपने आतंकी संगठन में भर्ती करने का काम किया. छत्तीसगढ़ के माओवाद से प्रभावित क्षेत्र बस्तर को लेकर पहले भी इस तरह के समाचार सामने आ चुके हैं.
अब बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने कहा है कि बस्तर में वर्ष 2021 में लॉकडाउन का फायदा उठाकर माओवादियों ने अपने आतंकी संगठन का विस्तार करने का काम किया है. माओवादियों ने अधिकतर विद्यालय के छात्र-छात्राओं और ग्रामीण युवाओं को अपने संगठन में भर्ती करने का प्रयास किया.
दरअसल, महामारी के कारण बस्तर क्षेत्र के सभी स्कूल आश्रम एवं पोटा केबिन बंद थे और यहां रह कर पढ़ाई करने वाले सभी विद्यार्थी अपने गांव जा चुके थे. इस दौरान माओवादियों ने क्षेत्रों के कई विद्यार्थियों को अपने आतंकी संगठन में शामिल करने का प्रयास किया था.
माओवादी आतंकी बीते लंबे समय से विद्यालयों और कॉलेज के विद्यार्थियों को अपने संगठन में शामिल करते आ रहे हैं. इन सब के बीच जब महामारी के दौरान लॉकडाउन लगा तो माओवादी एक बार फिर ग्रामीण अंचलों में अत्यधिक सक्रिय हो गए.
बस्तर आईजी का कहना है कि पढ़ाई से भटकाकर माओवादी संगठन से जोड़ने का प्रयास किया, लेकिन वह अपनी योजना में असफल रहे. स्कूल कॉलेज खुलने के बाद बच्चे वापस आए उनकी काउंसलिंग की गई. उन्होंने कहा कि पुलिस के जवानों की कोशिश होगी कि माओवादी विचारधारा में भटक चुके छात्रों एवं युवाओं को वापस मुख्यधारा में लाया जाएगा.
लॉकडाउन की वजह से माओवादी आतंकी संगठन की हालत पस्त हो चुकी है और अब वह गरीब ग्रामीण युवाओं और प्रवासी मजदूरों को भी निशाना बना रहे हैं.
बस्तर संभाग में माओवादी आतंकी संगठन ने लॉकडाउन के दौरान संसाधन जुटाने और स्कूल के विद्यार्थियों को संगठन में भर्ती करने के लिए 10,000 लोगों का बड़ा सम्मेलन आयोजित किया था.
दंतेवाड़ा और बीजापुर में इसको लेकर कई मामले सामने आ चुके हैं. पूर्व में बीजापुर में एक महिला माओवादी द्वारा आत्मसमर्पण करने के बाद इस बात का खुलासा हुआ था कि राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे पोटा केबिन (वृहद विद्यालय आश्रम) के विद्यार्थियों को माओवादी अपने आतंकी संगठन में भर्ती कर रहे हैं.