करंट टॉपिक्स

कोरोना से जंग – संयम, अनुशासन, परस्पर सहयोग एवं एकजुटता से विजयी होंगे

Spread the love

नरेंद्र ठाकुर

सारा विश्व एक वर्ष से अधिक समय से कोविड-19 महामारी से जूझ रहा है. अभी तक इस महामारी से करोड़ों लोग प्रभावित हो चुके हैं और लाखों लोगों की जान चली गई. दुनिया का कोई भी देश ऐसा नहीं है जो इस महामारी से प्रभावित नहीं हुआ है. कुछ देश इस महामारी की पहली लहर में ही संभल नहीं पाए और जिन्होंने अपने आपको पहली लहर में बचा लिया, वे दूसरी लहर में नहीं संभले. भारत भी पहली लहर में कम प्रभावित हुआ, लेकिन दूसरी लहर में अधिक प्रभावित हुआ. इस संकट के निराकरण हेतु केंद्र व राज्य के शासन और प्रशासन तथा स्थानीय निकायों सहित चिकित्सा क्षेत्र के सभी स्वास्थ्यकर्मी तथा सुरक्षा एवं स्वच्छताकर्मी भी पहले की तरह अपनी जान हथेली पर रखकर तत्परता से अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं. इसके अतिरिक्त अनेक सामाजिक एवं धार्मिक संगठनों के कार्यकर्ता और सामान्य समाज भी स्वप्रेरणा से अपना योगदान कर रहा है.

महामारी के अचानक विकराल रूप लेने से अस्पतालों में बिस्तर, ऑक्सीजन या दवा जैसे आवश्यक संसाधनों की कमी हो गई है. जिसके कारण अनेक लोगों को कष्टों का सामना करना पड़ रहा है. इस परिस्थिति में अनेक लोगों ने अपने स्वजनों को खोया है. अपने प्रियजनों को अंतिम विदाई भी ठीक से नहीं दे पा रहे हैं. ऐसे समाचार मीडिया, सोशल मीडिया में हम सब पढ़, सुन और देख रहे हैं. कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर ऐसा विकराल रूप धारण करेगी, शायद हम इसकी ठीक से कल्पना नहीं कर पाए. इसका परिणाम यह हुआ कि इस बार संक्रमितों की संख्या चार गुना अधिक हो गई, जिससे हमारी सभी व्यवस्थाएं चरमरा गई.

लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि इस विकट परिस्थिति में भी देश में नकारात्मक वातावरण खड़ा करने का प्रयास किया जा रहा है. तंत्र को कोसना, व्यवस्थाओं पर प्रश्न खड़े करना और अविश्वास निर्माण करने का प्रयास हो रहा है. कुछ संवेदनहीन लोग इस परिस्थिति में भी लोगों की मज़बूरी का फायदा उठाकर कालाबाजारी और मुनाफाखोरी कर रहे हैं. कुछ स्थानों पर अस्पतालों में बिस्तर दिलवाने, ऑक्सीजन सिलेंडर और रेमडेसिविर उपलब्ध कराने के लिए मुंह माँगा दाम वसूल कर रहे हैं. यहाँ तक कि अंतिम संस्कार करने के लिए श्मशान भूमि में भी लकड़ी के अधिक दाम वसूले जा रहे हैं. ऐसे समय में यह आत्मा को झकझोरने वाले समाचार हैं. यह समय न तो राजनीति करने का है, न ही आरोप-प्रत्यारोप का है, न ही तंत्र को कोसने का है और न ही दूसरे की मज़बूरी का फायदा उठाकर मुनाफा कमाने का है. यह समय तो एकजुट होकर इस गंभीर महामारी को हराने का है, लोगों की जिंदगियां बचाने का है. इसके लिए सभी लोग अपने सामर्थ्य के अनुसार अपना योगदान दें. वैक्सीनेशन के बारे में भी तरह-तरह के भ्रम फैलाये जा रहे हैं, जबकि भारत में बनी हुई वैक्सीन सबसे अधिक कारगर और सस्ती है तथा वैक्सीनेशन ही इस बीमारी से बचने का साधन है. इसलिए अपनी बारी आने पर सभी लोग टीका अवश्य लगवाएं और बाक़ी लोगों को भी प्रेरित करें ताकि संक्रमण से बचा जा सके.

इस विकट परिस्थिति में दूसरी तस्वीर भी दिखाई देती है जो सकारात्मक है, आशा और विश्वास जगाने वाली है. समाज में ऐसे भी लोग हैं जो अपनी जान की परवाह किये बिना दूसरों की जिंदगियां बचाने में लगे हुए हैं. नागपुर के 85 वर्षीय श्री नारायण भाउराव दाभाडकर, जिन्होंने अपना बिस्तर एक युवा जरूरतमंद व्यक्ति को देकर उसकी जान बचाई, लेकिन स्वयं इस दुनिया को अलविदा कह गए. रांची का एक युवा देवेन्द्र कुमार शर्मा अपने दोस्त की जिंदगी बचाने के लिए बोकारो (झारखण्ड) से ऑक्सीजन का सिलेंडर लेकर 1300 किलोमीटर दूर गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश) मात्र 14 घंटे में कार चलाकर पहुँच गया. लखनऊ की डॉक्टर पल्लवी सिंह अपने ऑपरेशन (डिलीवरी) से कुछ समय पहले तक कोरोना मरीजों की सेवा में जुटी रही. ऐसे ही कानपुर की ‘रिमझिम इस्पात लिमिटेड’ के सीएमडी श्री योगेश अग्रवाल हर रोज़ 2500 आक्सीजन सिलेंडर बिना पैसा लिए बाँट रहे हैं. देशभर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, सेवा भारती सहित अनेक सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाएँ भी तत्परता से शासन-प्रशासन के सहयोग और लोगों की सेवा में जुटी हुई हैं. कोई जरुरतमंदों को बिस्तर दिलवा रहा है, कोई ऑक्सीजन, तो कोई दवाइयां उपलब्ध करवा रहा है. कोई रक्तदान, प्लाज्मादान कर रहा है तो कोई भोजन की व्यवस्था कर रहा है. जहाँ कोविड से मृत्यु के कारण अपने ही साथ छोड़ रहे हैं, वहां अंतिम संस्कार करने में भी सहयोग में लोग जुटे हुए हैं. सभी अपने-अपने सामर्थ्य के अनुसार प्रयास कर रहे हैं. जब तक समाज में यह संवेदनशीलता और सक्रियता है, तब तक कोई भी महामारी हमें परास्त नहीं कर सकती है.

परिस्थिति विकट है, पर समाज की शक्ति भी कम नहीं है, यह हम सब अनुभव कर रहे हैं. संकटों से जूझने की हमारी क्षमता है. समस्या के निराकरण हेतु समन्वय और सेवाभाव से जुटकर किसी भी प्रकार के अभाव को दूर करने का हर संभव प्रयास करने से ही शीघ्र समाधान होगा. धैर्य और मनोबल बनाये रखते हुए संयम, अनुशासन, परस्पर सहयोग एवं एकजुटता से हम इस भीषण परिस्थिति में भी विजयी होंगे.

अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *